
बीबीएमबी ने खटखटाया था हाईकोर्ट का दरवाजा
एक मई को पंजाब पुलिस द्वारा कथित रूप से भाखड़ा नंगल बााध और लोहंड कंट्रोल रूम पर नियंत्रण लेने की घटना ने स्थिति को और जटिल बना दिया। बीबीएमबी ने इसे अपने अधिकारों में अवैध हस्तक्षेप करार देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसके साथ ही, हरियाणा के वकील रविंदर सिंह और फतेहाबाद के गांव मटाना की पंचायत ने भी जनहित याचिकाएं दाखिल कर हरियाणा को आवश्यक जल आपूर्ति की मांग की।
अपने विस्तृत फैसले में हाईकोर्ट ने पंजाब को निर्देश दिया कि वह बीबीएमबी के कार्य में हस्तक्षेप से परहेज करें और केवल सुरक्षा व्यवस्था तक सीमित रहे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बांध की सुरक्षा के नाम पर उसके संचालन में बाधा डालना स्वीकार्य नहीं है।
साथ ही, पंजाब को यह भी आदेश दिया गया कि वह भारत सरकार के गृह सचिव की अध्यक्षता में 2 मई को हुई बैठक के निर्णय का पालन करे, जिसमें हरियाणा के लिए 4500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ने का फैसला हुआ था।
आपत्ति दर्ज कर सकते हैं, सीधे हस्तक्षेप नहीं: कोर्ट
फैसले में अदालत ने पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 और भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड नियम, 1974 का हवाला देते हुए यह स्पष्ट किया कि बीबीएमबी एक केंद्रीय निकाय है और उसका नियंत्रण केंद्र सरकार के अधीन है। किसी भी असहमति की स्थिति में राज्य सरकार को केंद्र के माध्यम से ही आपत्ति दर्ज करनी चाहिए, न कि सीधे हस्तक्षेप करना चाहिए।
पंजाब की ओर से यह तर्क दिया गया कि उन्होंने केवल बांध की सुरक्षा के लिए पुलिस भेजी थी और कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्य की है। जबकि हरियाणा ने पेयजल संकट को उजागर करते हुए पानी की मांग को उचित ठहराया। केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सत्य पाल जैन ने अदालत को बताया कि यह पानी दिल्ली और राजस्थान जैसे अन्य राज्यों के लिए भी जीवन रेखा है।
यह सुझाव कि भविष्य में इस प्रकार की स्थिति से बचने के लिए भाखड़ा बांध की सुरक्षा अर्धसैनिक बलों को सौंपी जाए। कोर्ट ने इस सुझाव पर कोई आदेश नहीं दिया, लेकिन इसे बीबीएमबी और केंद्र सरकार के विचारार्थ छोड़ दिया।