आशंका थी कि सीमा पार वाले हमें किसी तरीके से नुकसान पहुंचाएंगे। हालात को भांपते हुए पहले से हमने तैयारियां भी की थीं। हमने घरों में बंकर तैयार रखे थे। रात को अचानक गोलों की गरज से पूरा परिवार दहशत में आ गया।

‘सरहदें खामोश रहीं’

कमलकोट के सैयद सवीर ने कहा कि हमने दुआएं मांगी थी कि हमारी यह सरहदें खामोश रहें। हम फिर से घरों से दरबदर हो गए हैं, अलबत्ता खुशी है कि देश ने पाकिस्तान से पहलगाम का बदला ले लिया।

नसीर अहमद ने कहा, हमने बहुत लंबी रात बिताई। ऐसा लग रहा था कि यह रात कभी खत्म ही नहीं होगी। हमें गोलाबारी के बीच जान बचाने के लिए सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा और शरण लेनी पड़ी। उधर, उड़ी क्षेत्र के दर्जन से अधिक गांव खाली हो गए हैं। लोग घरों पर ताले जड़ सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं।