
नाटो का सदस्य देश है तुर्किये
ऐसे में तुर्किये को यह नापाक गठजोड़ भारी पड़ने लगा है। क्योंकि, लाखों भारतीय प्रत्येक वर्ष छुट्टियां मनाने तुर्किये जाते हैं, साथ ही कालीन व परिधानों से लेकर मार्बल व उसकी क्रोकरी भी भारत में काफी पसंद की जाती है। ऐसे में उसके इस कारोबार को धक्का लगना तय है। वैसे तो तुर्किये नाटो का सदस्य और खुद को कथित धर्मनिरपेक्ष गणराज्य बताता है।
चीन के बाद पाक को हथियार सप्लाई करने वाला दूसरा देश तुर्किये
यह जानकर आश्चर्य होगा कि चीन के बाद पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश तुर्किये है, जिसने पाकिस्तान की नौसेना के आधुनिकीकरण और उसकी हवाई युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है।
तुर्किये ने की पाकिस्तान को ड्रोन की आपूर्ति
तुर्किये की कंपनी बायकर ने पाकिस्तान को बायरकटर टीबी 2 (TB2) और अकिनसी सशस्त्र ड्रोन की आपूर्ति की है। तुर्की की एसटीएम (STM) 350 मिलियन डालर के समझौते के तहत पाकिस्तान की अगोस्टा 90B पनडुब्बियों को अपग्रेड कर रही है।
दक्षिण एशिया की स्थिरता को आघात करता है यह नापाक गठजोड़
स्वदेशी जागरण मंच ने इस अपवित्र गठबंधन की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह सीधे तौर पर भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करता है। यह रक्षा सहयोग केवल व्यावसायिक नहीं है, बल्कि यह वैचारिक है, जो दक्षिण एशिया की स्थिरता को आघात करता है और पाकिस्तान के सैन्य दुस्साहस को बढ़ावा देता है।
“धर्म के आगे तुर्किये भूल गया भारत का मानवीय समर्थन”
अश्विनी महाजन ने कहा कि ऐसा लगता है कि तुर्किये संकट के समय में उसको भारत की उदार और समय पर की गई मानवीय सहायता को भूल गया है। भारत न केवल एक व्यापारिक साझेदार के रूप में बल्कि वसुधैव कुटुम्बकम का पालन करने वाली एक जिम्मेदार वैश्विक शक्ति के रूप में तुर्किये के साथ खड़ा रहा है।
जी20 और यूएन जैसे बहुपक्षीय मंचों पर, भारत ने ऊर्जा सुरक्षा और आतंकवाद-रोधी वार्ता सहित व्यापक पश्चिम एशियाई पड़ोस के हिस्से के रूप में तुर्किये के साथ समावेशी जुड़ाव का लगातार समर्थन किया है। एकजुटता और सद्भावना की इन कोशिशों के बावजूद, उसने ने राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्वपूर्ण मामलों में भारत के विरोधियों का साथ देना चुना है। विश्वासघात को नैतिक स्पष्टता और रणनीतिक दृढ़ता के साथ संबोधित किया जाना चाहिए।
दांव पर लगे आर्थिक और रणनीतिक निहितार्थ
भारत तुर्किये के पर्यटन राजस्व में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। 2024-25 में, लगभग 4 लाख भारतीय पर्यटक तुर्किये गए। तुर्किये एयरलाइंस और भारतीय वाहकों द्वारा संचालित प्रमुख भारतीय शहरों और इस्तांबुल के बीच दर्जनों साप्ताहिक सीधी उड़ानें संचालित होती हैं।
स्वदेशी जागरण मंच ने की पांच सूत्रीय मांग
- तुर्किये पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाए: तुर्किये से गैर-आवश्यक आयातों को प्रतिबंधित करें और संगमरमर, रसायन और मशीनरी जैसी प्रमुख तुर्किये वस्तुओं पर उच्च शुल्क लगाएं।
- नागरिक उड्डयन लिंक निलंबित करें: तुर्किये के लिए सीधी उड़ानों को अस्थायी रूप से निलंबित करें और विमानन कोडशेयर विशेषाधिकारों को रद्द करें जब तक कि तुर्किये पाकिस्तान को रक्षा आपूर्ति बंद नहीं कर देता।
- आउटबाउंड पर्यटन को हतोत्साहित करें: भारतीय नागरिकों को तुर्किये की यात्रा न करने की सलाह जारी करें; पर्यटन संवर्धन सहयोग वापस लें।
- राजनयिक संबंधों का पुनर्मूल्यांकन करें: तुर्किये के साथ राजनयिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के स्तर को कम करें, और सभी द्विपक्षीय समझौतों का पुनर्मूल्यांकन करें।
- घरेलू विकल्पों को बढ़ावा दें: भारतीय व्यवसायों और उपभोक्ताओं से तुर्किये के सामानों के लिए भारतीय विकल्पों को अपनाने का आग्रह करें, और इस्तांबुल, अंताल्या और कप्पाडोसिया के स्थान पर घरेलू गंतव्यों को बढ़ावा दें।