
सरकार की मदद का दिया आश्वासन
बच्चों की पढ़ाई होती है प्रभावित
पाकिस्तान गोलाबारी का दर्द सीमावर्ती क्षेत्रों से राहत शिविरों में पहुंचे लोगों के चेहरों पर साफ देखा जा रहा है। लोगों ने कहा कि दशकों से हम लोग भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच राहत शिविरों में मजबूर होकर रहने के लिए पहुंचते हैं।राजौरी जिले के उपजिला सुंदरबनी के नागाई पनयास, कलासरा, दादल, अमबखोडी, थेयाडी आदि सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों ने कहा कि हर बार गोलाबारी में व्यापार से लेकर बच्चों की पढ़ाई बड़े पैमाने पर प्रभावित होती है इन लोगों ने बताया कि सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले अधिकतर लोग किसान है। किसानी के साथ-साथ माल मवेशियों का भी लोगों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
सीजफायर के बाद भी लोग अभी राहत शिविरों में रुके हुए हैं। लोगों ने बताया कि सीमांत क्षेत्रों में गोलाबारी से बचने के लिए बंकर ही एकमात्र उपाय है। लेकिन उपजिला सुंदरबनी कि सीमांत क्षेत्रों में मात्र 54 ही बंकर बने हुए हैं।
घर में बंकर सुविधा की मांग
सीमावर्ती क्षेत्र के रहने वाले सुरेश कुमार ने बताया कि अगर प्रत्येक घर में बंकर की सुविधा मिल जाए तो राहत शिवरों का रुख नहीं करना पड़ेगा। साथ में लोगों के कामकाज प्रभावित नहीं होंगे। सुरेश कुमार ने सरकार से सीमा पर बसे लोगों के लिए प्रत्येक घर में बंकर की सुविधा उपलब्ध करवाने की मांग उठाई।