
एमसीडी द्वारा यूजर चार्ज वापस लेने के बाद उसपर दुकानों, रेस्तरां, होटल व गेस्ट हाउस समेत अन्य के लिए हेल्थ व ट्रेड लाइसेंस में कुछ वर्ष में की गई तीन से 22 गुना तक की बढ़ोतरी को वापस लेने या उसे व्यवहारिक करने का दबाव बढ़ने लगा है। इस संबंध में दुकानदारों से लेकर होटल, रेस्तरां व गेस्ट हाउस संचालक दबाव बढ़ाने लगे हैं। एमसीडी की मौजूदा भाजपा सरकार से उन्हें न्याय की उम्मीद है।
हेल्थ व ट्रेड लाइसेंस में यह बढ़ोतरी दो बार की गई है। पहले 22 गुना फिर 15 प्रतिशत। वर्ष 2022 में पहली बढ़ोतरी हुई थी। तब उसके बारे में करदाताओं ने विशेष ध्यान नहीं दिया, क्योंकि हर तीसरे वर्ष, तीन वर्ष का कर एक साथ जमा होता है तो ऐसे में पिछले वर्ष जब लोग कर भरने गए तब इस बढ़ोतरी की जानकारी हुई।
इसका काफी विरोध हुआ, लेकिन पिछली सरकार ने दुकानदारों को कोई राहत दी थी। बल्कि, पहली बार यूजर चार्ज लगाने के साथ ही पिछले वर्ष हेल्थ व ट्रेड लाइसेंस में 15 प्रतिशत की और बढ़ोतरी कर दी थी। अब जबकि, निगम में सत्ता परिवर्तन तथा भाजपा के राजा इकबाल सिंह के महापौर बनने के बाद अब दिल्ली के व्यापारियों को उम्मीद है कि यूजर चार्ज के बाद अब उन्हें ट्रेड व हेल्थ लाइसेंस में राहत मिल सकती है।
पहाड़गंज गेस्टहाउस आनर्स एसोसिएशन के सचिव सौरभ छाबड़ा के अनुसार, पहले गेस्ट हाउस का हेल्थ लाइसेंस 1500 रुपये था, जिसे बढ़ाकर 30 हजार रुपये कर दिया गया था। अब फिर उसमें 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी गई है।
साथ ही पंजीयन शुल्क हजारों रुपये अलग से है। यह पूरी तरह से मनमाना और अव्यवहारिक मामला है। गेस्ट हाउस संचालन से जुड़े ललित मित्तल ने कहा कि हम बढ़ोतरी का विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन यह बढ़ोतरी कुछ प्रतिशत या अधिकतम कुछ गुना हो।यहां तो मामला सीधे 22 गुना से अधिक का है। यह कमर तोड़ने वाला है।
बीयूवीएम के महासचिव हेमंत गुप्ता के अनुसार, पहले सामान्य व्यापार लाइसेंस जहां 500 रुपये का था, उसे पांच हजार रुपये तथा सूखे मेवे, किराना व खाद्य तेल की बिक्री जैसे मामलों में इसे 11 हजार रुपये कर दिया गया है। जबकि, नमकीन, मिष्ठान बनाने वालों के लिए यह मार 25 हजार से एक लाख रुपये तक की पड़ रही है।
वह भी तब जबकि खाद्य सामग्री बेचने वालों को भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) को भी लाइसेंस की एवज में 7,500 रुपये देने होते हैं। हेमंत गुप्ता के अनुसार, एमसीडी से लाइसेंस लेने की प्रक्रिया भी काफी कठिन कर दी गई है।
उन्होंने बताया कि दो दिन पहले भारतीय उद्योग व्यापार मंडल (बीयूवीएम) का प्रतिनिधिमंडल इस संबंध में महापौर से मिला था। महापौर ने अगले माह स्थायी समिति के गठन के बाद इस मामले पर गंभीरतापूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया है।