
मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है। पंख से कुछ नहीं होता, जिनके हौसलों से उड़ान होती है। इसको चरितार्थ किया है दुर्गापुर गांव के जतिन रावत ने। जिसने भारतीय नौसेना अकादमी (आइएनए) से बीटेक के साथ सब-लेफ्टिनेंट के पद पर भारतीय नौसेना में शामिल हो गए।
भारतीय वायुसेना से रिटायर्ड हैं जतिन के पिता
बीते 31 मई को पासिंग आउट परेड केरल स्थित भारतीय नौसेना अकादमी एजिमाला में सम्पन्न हुई। जतिन रावत के पिता समय सिंह रावत भी भारतीय नौसेना में 37 साल सेवा करने के बाद लेफ्टिनेंट के पद से रिटार्यड हुए हैं। जतिन रावत के ताऊ रोहतास रावत भी भारतीय वायुसेना में 20 वर्ष सेवा के बाद सन 2007 में रिटायर्ड हुए थे।
जतिन रावत ने किसे दिया सफलता का श्रेय?
पिता समय सिंह ने बताया कि जतिन रावत ने वर्ष 2020-21 में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएसई) द्वारा आयोजित परीक्षा पास की और उसके बाद सेवा चयन बोर्ड (एसएसबी) की पांच दिन के इंटरव्यू में सफल होने के बाद आठ अक्टूबर 2021 को भारतीय नौसेना अकादमी एजिमाला मे प्रवेश किया।
जतिन रावत ने बताया कि उन्हें अपने सपनों को साकार करते में उसके सभी परिवारजनों माता सुनीता रावत, दादा स्व. रतन सिंह, दादी शिवदेई, बड़ी बहन रीतू रावत, चाचा डॉ. मन्जीत सिंह रावत, एडवोकेट जगत सिंह रावत एवं उदयसिंह का काफी मार्गदर्शन व सहयोग रहा। बड़ी बहन का ही एक सपना था, कि उसका भाई अपने पिता की तरह सेना में जाए और उसके सपने को पूरा करने में हर कदम पर उसका मार्ग दर्शन करती रही।