
केंद्र सरकार ने लद्दाखियों की उम्मीदों को पूरा करने के लिए डोमिसाइल और आरक्षण के नियम अधिसूचित कर दिए हैं। इसके तहत अन्य राज्यों के लोगों को डोमिसाइल व लद्दाख में रोजगार पाने के लिए 15 वर्ष वहां तक वहां का स्थायी निवासी होना आवश्यक है।
इसके साथ ही इसका कटऑफ वर्ष 2019 रखा गया है। ऐसे में अन्य राज्य के निवासियों को पहला डोमिसाइल वर्ष 2034 में मिलेगा। यहां बता दें कि लद्दाख के लोग अपनी क्षेत्री य पहचान और संस्कृति के संरक्षण के लिए लगातार आंदोलन कर रहे थे।
यही वजह है कि लद्दाख के अलग केंद्रशासित प्रदेश के तौर पर गठन के लगभग छह वर्ष बाद ही इन नियमों पर सहमति बन सकी है। इससे लद्दाख में रोजगार संबंधी मुद्दों का भी समाधान संभव होगा। लद्दाख को छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा देने पर अभी फैसला नहीं हुआ है।
अमित शाह ने की थी संगठनों के साथ बैठक
गत दिनों नई दिल्ली में लद्दाख मामले पर गठित उच्चस्तरीय कमेटी व लद्दाख के संगठनों के संग हुई बैठक के बाद इन संगठनों की गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात भी हुई थी। नए नियमों के अनुसार लद्दाख में अनुसूचित जाति, जनजाति के लिए कोटा 85 प्रतिशत रहेगा।
इसमें आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को मिलने वाला आरक्षण शामिल नही है। लद्दाख की 90 प्रतिशत आबादी जनजातीय है। ऐसे में सभी लद्दाखियों को आरक्षण मिलेगा। संशोधित विनियमन की धारा 3ए के तहत किसी व्यक्ति को लद्दाख का निवासी तभी माना जाएगा, जब वह 15 वर्षों से यहां रह रहा हो।
इसके अलावा सात वर्षों तक यहां शिक्षा हासिल करते हुए 10वीं व 12वीं की परीक्षा देने वाले भी डोमिसाइल के योग्य होंगे। लद्दाख में कम से कम 10 वर्षों तक सेवा देने वाले केंद्र सरकार के कर्मियों, बैकों और केंद्रीय विश्वविद्यालय में कार्य करने वाले कर्मचारियों के बच्चे भी डोमिसाइल के पात्र रहेंगे।
तहसीलदार होंगे सक्षम अधिकारी
गृह मंत्रालय द्वारा मंगलवार को अधिसूचित नियमों में डोमिसाइल जारी करने की प्रक्रिया भी स्पष्ट की गई है। इसमें तहसीलदारों को डोमिसाइल जारी करने के लिए सक्षम प्राधिकारी व उपायुक्तों को अपीलीय प्राधिकारी नामित किया गया है। आवेदन ऑफलाइन व ऑनलाइन किए जा सकते हैं।
इसके प्रारूप में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए कि डोमिसाइल प्रमाण पत्र केवल लद्दाख के तहत पदों पर नियुक्ति के उद्देश्य के लिए मान्य है।
कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के सज्जाद कारगिली ने सरकार द्वारा अधिसूचित नियमों पर कहा कि कुछ न होने से, कुछ होना बेहतर है। बढ़ती बेरोजगारी के कारण लोगों का भारी दबाव था