
सबके हित सोचने होंगे
पेशेवर रवैया रखना होगा
अभिनेता और कास्टिंग डायरेक्टर अभिषेक बनर्जी इस संबंध में कहते हैं कि जब पांच सौ लोग सेट पर साथ काम कर रहे होते हैं तो आपको पेशेवर दृष्टिकोण अपनाना होगा। फिल्म की शूटिंग को लेकर योजना तैयार होनी चाहिए। अगर सुबह छह बजे से लेकर शाम छह बजे की शिफ्ट में काम हो रहा है तो 12 घंटे जरूर हैं, लेकिन कोई भी कलाकार पूरे समय लगातार काम नहीं कर रहा है। आपको उन 12 घंटों में उतना ही काम करना होता है, जितना जरूरी और व्यावहारिक रूप से संभव है। यह मुख्य सह निर्देशक का उत्तरदायित्व होता है कि काम तय समय में खत्म हो जाए। मैं कभी निर्देशक या निर्माता को नहीं पूछता हूं कि कितनी देर काम करना है।
अगर किसी कलाकार को लगता है कि वह शेड्यूल या शिफ्ट अव्यावहारिक है तो वह बात कर सकते हैं। ये बात सह निर्देशक को ध्यान में रखनी चाहिए कि कलाकार ने समय दे दिया है तो आप उसका सम्मान करें। ये नहीं होना चाहिए कि उस दिन में एक-दो सीन एक्स्ट्रा बढ़ाए जा रहे हों। अगर ऐसा हुआ तो हर कोई शिकायत करेगा। अपनी बात करूं तो मुझे 12 घंटों की शिफ्ट वाला नियम पसंद है। मुझे लगता है कि इसके ऊपर शूटिंग नहीं होनी चाहिए, क्योंकि उसके बाद दिमाग भी नहीं चलता है। बाकी सेटअप पर निर्भर करता है कि आप किसके साथ काम कर रहे हैं, उनकी जरूरतें क्या हैं।
समन्वय से बनेगी बात
स्टोलन फिल्म का निर्माण और लेखन करने वाले गौरव ढींगरा इससे पहले एंग्री इंडियन गाडसेस फिल्म बना चुके हैं। गौरव कहते हैं कि महिलाओं की सुविधा को ध्यान में रखा जाना चाहिए। अपने सेट पर मैं ऐसा ही करता हूं। सच कहूं, तो ज्यादातर कलाकार समय को लेकर कम ही सोचते हैं। जब सेट पर आते हैं तो मन में एक ही ख्याल होता है कि अच्छी फिल्म बनानी है। फिर चाहे समय आठ से 10 या 12 घंटे हो जाए। जब छुट्टी लेनी होती है तो छुट्टी दी जाती है। बाकी आपकी फिल्म का सेटअप, क्रू कितना बड़ा या छोटा है, उससे भी फर्क पड़ता है।
संतुलन बनाकर चलने का प्रयास होता है, पर यह बात भी सच है कि अगर आपको दिन के शॉट लेने हैं या देर शाम के शाॉ लेने हैं और उसमें उस कलाकार की जरूरत है तो उसे शिफ्ट में कैसे फिट किया जा सकता है। हालांकि ऐसा रोज नहीं होता है। क्रिएटिव फील्ड में कई बार समय में बंधना संभव नहीं होता है। यहां जेंडर की बात नहीं है, अब जैसे स्टोलन के सेट पर एक कलाकार को दो दिनों के लिए किसी और शूटिंग पर जाना था तो हमने शूटिंग रोकी और उन्हें जाने दिया। उस बीच हमने अपने दूसरे काम कर लिए। किसी की तबीयत खराब है तो उस कलाकार के हिसाब से शूटिंग भी एडजस्ट करनी पड़ती है।
उचित है यह मांग
अभिनेता अजय देवगन आठ घंटे की शिफ्ट की मांग का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि कई ईमानदार फिल्मकार हैं, जिन्हें इससे दिक्कत नहीं है। कई लोगों ने आठ से नौ घंटे की शिफ्ट में काम करना शुरू भी कर दिया है। मुझे लगता है कि यह हर व्यक्ति पर निर्भर करता है। आजकल इंडस्ट्री के ज्यादातर लोग इसे समझते हैं।