निगम के अफसरों ने एनजीटी का बहाना बनाकर पूरी प्रक्रिया ही उलटकर रख दी। निगम के अफसरों ने पार्षदों ओर सीनियर अफसरों को एनजीटी का डर दिखाकर दोनों टेंडर पीएसयू को अलॉट कर दिए। जबकि समय गुजर जाने के बाद भी यह काम नहीं हुए है।
पार्षदों को अंधेरे में रखा
निगम अफसरों ने इस सारी प्रक्रिया में निगम अफसरों को भी अंधेरे में रखा। पार्षदों को यह बताया गया कि पीएसयू के टेंडर प्रक्रिया में शामिल होने पर सिंगल बिड पर काम अलॉट किया जा सकता है। जबकि नियम कहते है कि पीएसयू की श्रेणी में भी अन्य पीएसयू को एप्रोच किया जाना चाहिए।
जवाब नहीं देना चाहते
जब बायो माइनिंग प्रोजेक्ट को लेकर निगम के चीफ इंजीनियर संजय अरोड़ा से जानकारी के लिए संपर्क किया तो उन्होंने जानकारी नहीं दी। यहां तक कि तीन दिन कई बार मैसेज करने पर भी कोई जवाब नहीं दिया। पूर्व डिप्टी मेयर सतीश कैथ के अनुसार यह एक बड़ा घोटाला है। इसकी विजिलेंस या सीबीआई से जांच होनी चाहिए।