ग्लोबल वार्मिंग के चलते मौसम चक्र बिगड़ा है। देश ही नहीं, पूरी दुनिया में इसका असर स्पष्ट दिखने लगा है। गर्मियों के दौरान भारत में चलने वाली गर्म हवाएं या लू की लपटों की न सिर्फ तीव्रता बढ़ी है, बल्कि लू वाले दिनों की संख्या भी बढ़ी है तथा यह और भी जानलेवा हुई है।
पहाड़ी क्षेत्र को छोड़कर कमोवेश देश का पूरा हिस्सा लू की चपेट में रहता है। जाहिर तौर पर इससे बीमार होने होने वाले या असमय मरने वालों की संख्या ज्यादा होगी, लेकिन इन आंकड़ों को जानने का कोई आधिकारिक मंच नहीं है।
यह विडंबना ही है कि जन-स्वास्थ्य से जुड़े इस गंभीर मसले को लेकर अलग-अलग संस्थाएं अलग-अलग आंकड़े पेश करती है। हीटस्ट्रोक या गर्मी से संबंधित मौतों की निगरानी के स्रोतों में से कोई भी अकेले पूरी तरह से स्पष्ट तस्वीर पेश नहीं करता है।