
देसी घी में ऐसे करें मिलावट की जांच
ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर भी चलता है मिलावट का खेल
खाद्य सुरक्षा विभाग ने अब तक देसी घी के जो नमूने लिए हैं। उनकी जांच के बाद यह बात सामने आई है कि बहुत से मिलावाटखोर कई ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर भी गड़बड़ी करते हैं। कारण साफ है कि रिफाइंड सस्ता होता है और नकली घी बनाने में इसका इस्तेमाल अधिक किया जाता है।
घी की कीमत का अंतर
बाजार में पशु के दूध से तैयार किए गए असली देसी घी की कीमत 700 रुपये किलोग्राम है। कई बाजारों में 400 से 500 प्रति किलोग्राम बिक रहा है। कई बाजारों में तो देसी घी 300 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिक रहा है।
डेयरी संचालक भी करते हैं खेल
दूध डेयरी संचालक दूध में पानी मिलाते हैं। जब दूध की जांच की जाती है तो उससे पता चल जाता है कि दूध में वसा की कितनी मात्रा है। देसी घी में आमतौर पर रिफाइंड और वनस्पति घी मिलाया जाता है। जांच से मिलावट की पुुष्टि होती है।
लिए गए नमूनों का ब्योरा
पदार्थ, नमूने लिए, फेल आए
- मिठाई, 38, 29 (एक जनवरी, 2024 से तीन जून 2025 तक)
- देसी घी, 68, 45 (एक जनवरी 2020 से तीन जून 2025 तक)
- दूध, 14, 09 (एक अप्रैल 2020 से तीन जून, 2025 तक)
- 120, कुल लिए गए नमूने
- 83, फेल आए नमूने
कार्रवाई की गति तेज हो
समाजसेवी अजय सैनी कहते हैं कि खाद्य सुरक्षा विभाग नमूने लेने की कार्रवाई की गति तेज करे। सख्ती होगी तो ही मिलावटखोरों के हौसले पस्त होंगे। विभाग कम संख्या में नमूने लेता है।
हम नियमित रूप से खाद्य पदार्थों के नमूने लेते हैं। नमूने फेल आने पर कानूनी कार्रवाई की जाती है। फिर भी अगर किसी नागरिक को कहीं मिलावटखोरी की आशंका हो तो कार्यालय आकर शिकायत करें। कार्रवाई की जाएगी।
पृथ्वी सिंह, पदेन अधिकारी, खाद्य सुरक्षा विभाग।