
चंडीगढ़:- नगर निगम के इंजीनियरिंग विंग में हर रोज नए घोटाले सामने आ रहे है। हॉर्टिकल्चर वेस्ट प्लांट के बाद बायो माइनिंग प्रोजेक्ट और अब एसटीपी प्लांट की वर्किंग पर सवाल उठने लगे है।
इन प्रोजेक्ट में हुआ घोटाला सामने आने के बाद निगम के इंजीनियरिंग विंग में एसडीओ एक्सियन से लेकर एसई तक के ट्रांसफर कर दिए गए। स्वच्छ भारत मिशन के एक्सईएन अमित शर्मा से हॉर्टिकल्चर वेस्ट प्लांट, डंपिंग ग्राउंड में बायो माइनिंग का काम वापस ले लिया।
निगम कमिश्नर द्वारा इंजीनियरिंग विभाग में अफसरों के तबादले किए गए लेकिन किसी की जिम्मेदारी तय नहीं की गई। इंजीनियरिंग विभाग के चीफ से इन प्रोजेक्ट्स में भी रही गड़बड़ियों पर सवाल तक नहीं पूछा गया जबकि सीबीआई ओर सीवीसी के पास पहुंची शिकायतों में निगम के चीफ इंजीनियर ऑफिस की वर्किंग पर सवाल उठाए गए है।
इन सभी प्रोजेक्ट को चीफ इंजीनियर की सहमति के बाद ही बिना किसी ओपन टेंडर के पीएसयू को सौंपा गया। हॉर्टिकल्चर वेस्ट प्लांट का टेंडर तो निगम हाउस में मुद्दा उठने के बाद रद्द कर दिया गया लेकिन बायो माइनिंग प्रोजेक्ट में निगम अभी भी पीएसयू के माध्यम से प्राइवेट कंपनी को करोड़ों की पेमेंट कर रहा है।
बायो माइनिंग प्रोजेक्ट ऐसे पीएसयू को दिया गया जिसके पास इस काम का कोई अनुभव नहीं है। इस पीएसयू ने भी काम आगे ठेके पर दे दिया। निगम अफसरों ने टेंडर में ऐसी कोई शर्त नहीं रखी कि काम आगे सबलेट नहीं किया जा सकता। अपने खास ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए यह खेल खेला गया।
गलती से नहीं सीखा सबक
नगर निगम ने गलतियों से कोई सबक नहीं सीखा है। कुछ वर्ष पहले निगम ने शहर की स्ट्रीट लाइट का काम एक पीएसयू को दिया था। इस पीएसयू ने भी आगे प्राइवेट कॉन्ट्रैक्टर से काम करवाया। हालत यह थे कि शहर की सभी प्रमुख सड़कों पर अधिकांश लाइटें बंद रहती थी।
कोई भी प्रोजेक्ट सही नहीं चला
नगर निगम के सभी प्रोजेक्ट्स पर सवाल उठ रहे है। करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी शहर के लोगों को उनका लाभ नहीं मिल रहा। मनीमाजरा में 24 घंटे पानी सप्लाई के काम पर निगम ने 80 करोड़ खर्च किए लेकिन लोगों को 24 घंटे तो क्या अब सुबह शाम साफ पानी भी नहीं मिल रहा।