
फरीदाबाद:- फरीदाबाद में जिला नागरिक बादशाह खान अस्पताल में पीपीपी मोड पर संचालित हार्ट सेंटर में कार्डियोलॉजी की फर्जी डिग्री के सहारे नियुक्त होकर 50 से अधिक ऑपरेशन करने वाले कथित हृदय रोग विशेषज्ञ की अब जनरल फिजिशियन वाली डिग्री की भी जांच होगी।
डा. पंकज मोहन शर्मा, हार्ट सेंटर के सीएमडी और एमडी सहित पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद डीसीपी ने मामले की गहराई से जांच के लिए थाना एसजीएम नगर को जांच के साथ-साथ क्राइम ब्रांच सेक्टर-48 को भी जांच करने का जिम्मा सौंपा है।
पुलिस ने इस मामले में पंकज मोहन शर्मा, हार्ट सेंटर का पीपीपी मोड पर संचालन करने वाली मेडिट्रिना हॉस्पिटल प्राइवेट लिमिटेड के सीएमडी डा. एन प्रताप कुमार, एचआर हेड दलीप नायर, सेंटर हेड पीयूष श्रीवास्तव व मंदीप और हरियाणा सेंटर हेड अजय शर्मा के खिलाफ धोखाधड़ी करने, सब कुछ जानते हुए भी लोगों की जान खतरे में डालने आदि धाराओं के तहत मंगलवार को मुकदमा दर्ज किया था। पुलिस ने पांचों आरोपित को नोटिस देकर पूछताछ के लिए बुलाया है।
मामले में पुलिस का एक एंगल यह भी है और संदेह भी व्यक्त किया जा रहा है कि हार्ट सेंटर में मरीजों का ऑपरेशन करने वाला डाक्टर पंकज मोहन शर्मा जनरल फिजिशियन भी है या नहीं, क्योंकि शिकायतकर्ता एडवोकेट संजय गुप्ता ने अपनी शिकायत में इस बात पर भी सवाल किया है कि उन्हें डाक्टर के फिजिशियन होने पर भी शक है। पता नहीं उनके पास एमबीबीएस की डिग्री भी है या नहीं।
पुलिस के अनुसार डाक्टर के रजिस्ट्रेशन नंबर की भी जांच की जा रही है। डाक्टर पंकज ने अपना रजिस्ट्रेशन नंबर दिल्ली से हरियाणा में ट्रांसफर करवाया था।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर सवाल
पुलिस ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर भी सवाल खड़े किए गए है। क्योंकि शिकायत मिलने के बाद भी विभाग की ओर से न तो खुद कोई कार्रवाई की गई और न पुलिस को भी इस मामले में किसी तरह की जानकारी नहीं दी गई। इसलिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से भी मामले में पूछताछ हो सकती है। यह भी बता दें कि डा.पंकज मोहन शर्मा ने हार्ट सेंटर में 4200 से अधिक मरीजों का इलाज किया है।
यह बहुत हैरानी वाला विषय है। पहले प्रयोग किए हुए स्टेंट डाल दिए गए और अब यह जानकारी सामने आई कि जिस डाक्टर ने आपरेशन किए वह हार्ट स्पेशलिस्ट ही नहीं है। पीपीपी मोड पर भी अगर सेंटर चल रहा था तो कम से कम पहले डाक्टर जिनकी नियुक्ति की गई थी, उनके प्रमाण पत्रों की जांच तो कर ली जाती। बिना जांच के ही सीधे आम आदमी की जान से खिलवाड़ करने के लिए छोड़ दिया गया।