आईआईटी ने एक साल में 4200 शोध पत्रों का प्रकाशन किया है। पिछले पांच साल में शोध कार्यों को एक हजार की संख्या तक बढ़ाया है। पांच साल पहले 3200 शोध पत्र का प्रकाशन हो रहा था।
इसमें भी 30 प्रतिशत शोध वैश्विक स्तर पर जाने-माने संस्थानों के साथ मिलकर किए जा रहे हैं। इसके लिए आइआइटी दिल्ली ने विभिन्न संस्थानों से करार किए हुए हैं।

एम्प्लायर रेपुटेशन में भी 23 स्थानों की छलांग लगाई

संस्थान ने एम्प्लायर रेपुटेशन में 23 स्थानों की छलांग लगाई है। पहले 73वीं रैंक थी जो अब 50 हो गई है। इसे 15 प्रतिशत वेटेज दिया जाता है।

यह प्रमाण है कि आईआईटी दिल्ली के छात्र वैश्विक स्तर पर अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। साइटेशन फार फैकल्टी मानक में 40 अंकों की बढ़ोतरी हुई है।
इसकी वैश्विक रैंकक 126 से बढ़कर 86 हो गई है। सस्टेनिबिलिटी में 252 अंकों की बढ़ोतरी संस्थान ने दर्ज की है। पहले 424 रैंक थी अब 172 हो गई है।
हालांकि इसका वेटेज पांच प्रतिशत ही है। लेकिन, आईआईटी दिल्ली ने नेट जीरो की दिशा में आगे बढ़ते हुए बहुत काम किया है। परिसर में वाहनों की संख्या कम करने पर जोर दिया जा रहा है।

सौर ऊर्जा का इस्तेमाल भी बढ़ाया गया

सौर ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ा है। इम्प्लायमेंट आउटकम में 319वीं रैंक हासिल की है। पहले यह 340 थी। प्रो. बुआ ने बताया कि इसके तहत ही प्लेसमेंट को आंका जाता है।

आईआईटी दिल्ली प्लेसमेंट के अलावा खुद का स्टार्टअप करने वाले, उच्च शिक्षा में जाने वाले छात्रों का डाटा संकलन ठीक से करता है। इसकी वजह से रैंक बढ़ी है।
प्रो. बुआ ने कहा, फैकल्टी टू स्टूडेंट्स रेशियो, इंटरनेशनल फैकल्टी, इंटरनेशनल रिसर्च नेटवर्क, इंटरनेशनल स्टूडेंट्स जैसे मानकों में भी आइआइटी ने अच्छा प्रदर्शन किया है।
उन्होंने कहा, सभी के सामूहिक प्रयासों से हम भविष्य में शीर्ष 100 शीर्ष विश्वविद्यालयों में शामिल होने की क्षमता रखते हैं।