शाहकोट (पंजाब):
भारत सरकार की महत्वाकांक्षी Bharat Mala Project के तहत पंजाब में विभिन्न नेशनल हाइवे बनाए जा रहे हैं। लेकिन इस विकास की रफ्तार में स्थानीय निवासियों की तकलीफें कहीं पीछे छूटती जा रही हैं। ऐसा ही मामला शाहकोट के गांव मियाणी से सामने आया है, जहां दो भाइयों ने प्रशासन पर Zabardasti Displacement और वादाखिलाफी का आरोप लगाया है।
परिवार का आरोप: “घर तोड़ दिए, वादे पूरे नहीं किए”
पंडित कृष्ण देव और पवन कुमार, जो आपस में भाई हैं, का घर और एक एकड़ जमीन भारत माला प्रोजेक्ट के तहत बनने वाले हाईवे की सीमा में आ गया। प्रशासन ने जमीन और मकान का कब्जा लेने से पहले कुछ शर्तों पर सहमति जताई थी, लेकिन अब वे वादे पूरे नहीं किए जा रहे।
प्रशासनिक कार्रवाई के समय रखी गईं थीं शर्तें
परिवार का कहना है कि जब हाईवे निर्माण के लिए जमीन और घर का कब्जा लेने के लिए DRO जालंधर, BDO लोहियां खास, तहसीलदार, पटवारी और DSP ओंकार सिंह बराड़ मौके पर पहुंचे थे, उस वक्त अधिकारियों के समक्ष स्पष्ट शर्तें रखी गई थीं।
इन शर्तों में शामिल थे:
-
घर के अंदर एक बोरवेल लगवाना
-
नया घर बनाने के लिए आवश्यक मटीरियल सप्लाई, जिसमें ईंट, सीमेंट, रेत और अन्य निर्माण सामग्री शामिल है
परिवार का आरोप है कि प्रशासन ने कब्जा तो ले लिया, लेकिन न तो बोरवेल लगवाया गया, न ही निर्माण सामग्री दी गई।
किसान मजदूर संघर्ष कमेटी का हस्तक्षेप
Kisan Mazdoor Sangharsh Committee ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है। संगठन के नेता सलविंदर सिंह जाणिया ने पीड़ित परिवार के साथ ADC बुद्धिराज सिंह से मुलाकात की और कहा कि प्रशासन का यह रवैया जनविरोधी और अमानवीय है।
उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन ने किए गए वादों को शीघ्र पूरा नहीं किया, तो गांव मियाणी में धरना प्रदर्शन शुरू किया जाएगा। उन्होंने इसे विकास के नाम पर ग्रामीणों के साथ धोखा बताया।
“धक्केशाही से तोड़े घर, सामान की भी तोड़फोड़ हुई”
कृष्ण देव और पवन कुमार का आरोप है कि प्रशासन ने उन्हें जबरदस्ती घर खाली करने को मजबूर किया और बाद में मकान को बिना उचित मुआवजे और पुनर्वास सुविधा के तोड़ दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि इस दौरान उनके घर का काफी सामान तोड़फोड़ में नष्ट हो गया।
संघर्ष तेज करने की चेतावनी
किसान संगठन ने यह स्पष्ट किया है कि यदि प्रशासन लिखित समझौते के तहत तय की गई सुविधाएं देने में असफल रहता है, तो जल्द ही स्थानीय स्तर पर आंदोलन शुरू किया जाएगा।
संघर्ष कमेटी ने प्रशासन को 7 दिन की मोहलत दी है। यदि इस दौरान कोई समाधान नहीं निकलता है, तो गांव मियाणी में Highway Construction को रोकने के लिए संघर्ष तेज किया जाएगा।
प्रमुख मुद्दे:
-
परिवार को Displace करते समय प्रशासन द्वारा मौखिक सहमति दी गई थी
-
वादा किया गया था बोरवेल, ईंट-रेत-समान देने का
-
प्रशासन ने कब्जा ले लिया लेकिन वादों पर अमल नहीं किया
-
किसान संगठन ने प्रशासन को चेताया – “वादे पूरे करो या संघर्ष झेलो”