हरियाणा, जून 2025 — भारत सरकार ने राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति (National Geospatial Policy) के तहत देश के 5 राज्यों में Geospatial Data Collection and Analysis की शुरुआत कर दी है। इस महत्वाकांक्षी मिशन को Operation Dronagiri नाम दिया गया है, जिसका पहला पायलट प्रोजेक्ट हरियाणा के सोनीपत (Sonipat) जिले से शुरू किया जाएगा।
इस योजना का उद्देश्य भूकंप, बाढ़, आर्मी सिक्योरिटी, कृषि, शहरी विकास, और आपदा प्रबंधन से संबंधित क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता वाला भू-स्थानिक डेटा एकत्र करना है, ताकि योजनाओं और नीतियों को बेहतर तरीके से लागू किया जा सके।
5 राज्यों में से एक बना हरियाणा
Operation Dronagiri के पहले चरण में केंद्र सरकार ने हरियाणा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, असम और उत्तर प्रदेश को शामिल किया है। हरियाणा के Sonipat को इस योजना का प्रारंभिक पायलट ज़ोन घोषित किया गया है, जहां से ड्रोन और भू-स्थानिक तकनीक के जरिए डाटा इकट्ठा किया जाएगा।
क्या है Geospatial Data?
Geospatial Data या भू-स्थानिक आंकड़े वे डेटा होते हैं जिनमें पृथ्वी की सतह पर स्थित वस्तुओं, स्थानों या घटनाओं की सटीक लोकेशन (Location Coordinates: Latitude, Longitude, Altitude) की जानकारी होती है।
यह डेटा प्राकृतिक संसाधनों (जैसे पहाड़, नदियाँ), मानव निर्मित संरचनाओं (सड़कों, पुलों, इमारतों), और आपदा घटनाओं (भूकंप, बाढ़, आग) से संबंधित होता है। इस डेटा का संग्रह GIS, GPS, Drones, Satellite Imagery जैसी आधुनिक तकनीकों के माध्यम से किया जाता है।
किन क्षेत्रों में होगा Geospatial Data का उपयोग?
1. Army and Border Security
हरियाणा जैसे सीमा से सटे राज्यों में भू-स्थानिक डेटा का उपयोग सैन्य अभियानों, बेस लोकेशन प्लानिंग, और इंटेलिजेंस आधारित निगरानी (Surveillance) में किया जाएगा।
2. Disaster Management (भूकंप और बाढ़ पर रिसर्च)
Flood और Earthquake जैसे Natural Disasters के पूर्वानुमान और प्रभाव का मूल्यांकन करने में यह डेटा महत्वपूर्ण होगा। इससे Early Warning Systems को सुदृढ़ किया जा सकेगा।
3. Agriculture & Urban Planning
किसानों को सटीक फसल सलाह (Crop Advisory), सिंचाई योजना और मिट्टी की गुणवत्ता जैसे डेटा प्राप्त होंगे। साथ ही शहरों की योजना और विकास (Urban Infrastructure Planning) में भी इसका उपयोग होगा।
कौन कर रहा है इस प्रोजेक्ट को लागू?
इस पूरे प्रोजेक्ट की Nodal Agency होगी Survey of India, जो भू-स्थानिक मानचित्रण और डेटा प्रोसेसिंग का कार्य देखेगी। इसके लिए राज्य स्तर और ज़िला स्तर पर अलग-अलग कमेटियों का गठन किया गया है।
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राज्य स्तरीय समिति की अध्यक्षता भूमि अभिलेख निदेशक करेंगे और सर्वे ऑफ इंडिया के निदेशक Member Secretary होंगे।
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ज़िला स्तर पर सोनिपत के उपायुक्त समिति की अध्यक्षता करेंगे, और सर्वे अधीक्षक सदस्य सचिव होंगे।
इन समितियों की जिम्मेदारी पायलट प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग, राज्य और केंद्र के विभागों के बीच समन्वय, और क्षेत्रीय चुनौतियों का समाधान करना होगा।
किसानों को होगा सीधा लाभ
इस डेटा के माध्यम से किसान data-driven agriculture अपना सकेंगे। उन्हें फसल चक्र, पानी की उपलब्धता, मौसम की जानकारी, और भूमि की उपज क्षमता के संबंध में सटीक सुझाव प्राप्त होंगे।
Urban Development में भी आएगा बदलाव
Geospatial mapping से शहरों की master planning को गति मिलेगी। साथ ही जल निकासी, ट्रैफिक मैनेजमेंट, ग्रीन एरिया प्लानिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवेलपमेंट को बेहतर तरीके से लागू किया जा सकेगा।