
पंजाब की राजनीति में फिर एक बार हलचल तेज हो गई है। शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति (Disproportionate Assets Case) मामले में जांच ने रफ्तार पकड़ ली है। इस कड़ी में आज प्रवर्तन निदेशालय (ED) के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर निरंजन सिंह चंडीगढ़ स्थित विजिलेंस कार्यालय में पेश हुए।
इसी के साथ, एक दिन पहले ही पंजाब के पूर्व डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय भी इसी केस में गवाही देने पहुंचे थे। इन दोनों वरिष्ठ अधिकारियों की पेशी से इस हाई प्रोफाइल केस को एक नई दिशा मिलने की संभावना जताई जा रही है।
🔍 कौन हैं निरंजन सिंह, और क्यों अहम है उनकी गवाही?
पूर्व ईडी अधिकारी निरंजन सिंह वही अफसर हैं जिन्होंने वर्ष 2014 में मजीठिया के खिलाफ जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने उस समय के ड्रग मनी ट्रेल और फाइनेंशियल लिंक्स को उजागर किया था। सिंह ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि जब उन्होंने मजीठिया से पूछताछ की थी तब उनका नाम एफआईआर में नहीं था, लेकिन जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि उनके नाम से जुड़ी संपत्तियां और वित्तीय लेन-देन संदिग्ध थे।
सिंह ने यह भी बताया कि यह जांच 2021 तक उनके रिटायरमेंट तक चलती रही और अब केस अदालत में स्टेटस रिपोर्ट सहित लंबित है।
👮 चट्टोपाध्याय का बड़ा बयान: “2012 से थे सबूत, लेकिन सरकार ने दबा दिया”
पूर्व डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय ने कहा कि 2021 में जब मजीठिया के खिलाफ FIR दर्ज की गई, तब भी पुलिस के पास मजबूत साक्ष्य थे। उन्होंने खुलासा किया कि 2012–13 के बीच मजीठिया के ड्रग तस्करों से संबंध सामने आए थे, लेकिन उस समय अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के कारण कार्रवाई नहीं हो सकी।
उन्होंने यह भी बताया कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश पर बनाई गई SIT (Special Investigation Team) ने तीन रिपोर्ट सौंपी थीं, जिनमें से एक उन्होंने व्यक्तिगत रूप से तैयार की थी जो अब भी पेंडिंग है।
🧾 भ्रष्टाचार की परतें: फर्जी प्रमोशन और ड्रग लिंक
पूर्व डीजीपी ने इस केस से जुड़े पुलिस अधिकारियों का भी नाम लिया। उन्होंने कहा कि इंस्पेक्टर इंद्रप्रीत सिंह, जिस पर 15 जांचें और 4 एफआईआर दर्ज थीं, उसे नियमविरुद्ध प्रमोट कर इंस्पेक्टर बना दिया गया। इतना ही नहीं, भगोड़ा AIG राजजीत पर भी आरोप लगाया कि उसने ड्रग मनी से अकूत संपत्ति बनाई।
इन खुलासों से यह स्पष्ट होता है कि मामला केवल मजीठिया तक सीमित नहीं बल्कि एक व्यापक नेटवर्क से जुड़ा हुआ है जिसमें राजनीति, पुलिस और ड्रग माफिया का गठजोड़ सामने आ सकता है।
🏛️ SIT की भूमिका और आगे की प्रक्रिया
चट्टोपाध्याय ने स्पष्ट किया कि SIT की जिम्मेदारी थी हाईकोर्ट को रिपोर्ट देना, न कि चालान पेश करना। उन्होंने दावा किया कि जांच में फॉरेन फंडिंग, फेक शेल कंपनियों, और मनी लॉन्ड्रिंग के ठोस प्रमाण मिले हैं। इससे यह केस एक बार फिर से नैशनल सिक्योरिटी और ड्रग नेटवर्क के संदर्भ में अहम बन गया है।