
पानीपत (हरियाणा) — पानीपत जिले में एक शराब के ठेके से जुड़ा मामला चर्चा का विषय बना हुआ है, जहां दो नए नियुक्त सेल्समैन, जिन्हें महज दो दिन पहले ही ड्यूटी पर रखा गया था, ठेके से ₹41,000 की नकदी लेकर फरार हो गए। यह घटना 28 जून की देर रात की बताई जा रही है, जब दोनों युवक ठेके की रात की शिफ्ट में तैनात थे।
ठेकेदार के मुताबिक, जब वह सुबह ठेके पर पहुंचा, तो दोनों सेल्समैन गायब मिले और उनके मोबाइल नंबर भी बंद आ रहे थे। ठेके की cash sale और स्टॉक की जांच करने पर यह खुलासा हुआ कि ₹41,970 की राशि गायब है।
🧾 घटना का पूरा विवरण: कैसे दिया घटना को अंजाम?
जानकारी के अनुसार, यह घटना पानीपत के शिवनगर श्मशान रोड पर स्थित एक शराब ठेके की है, जो कि ऋषिपाल नामक ठेकेदार द्वारा संचालित किया जाता है। ऋषिपाल, जो जीत रामनगर (रिसालू रोड) का रहने वाला है, ने बताया कि उन्होंने 25 जून को दो नए सेल्समैन को काम पर रखा था।
इन दोनों कर्मचारियों के नाम विनय और मोनू हैं, जो आपस में दोस्त बताए गए हैं और उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के रहने वाले हैं। दोनों की उम्र 23 साल है और ये ठेके की डबल शिफ्ट में काम कर रहे थे — दिन और रात दोनों।
🔍 28 जून की सुबह खुला चोरी का मामला
28 जून की सुबह जब ऋषिपाल ठेके पर पहुंचा, तो पाया कि दोनों सेल्समैन गायब हैं। गल्ला चेक करने पर कैश भी नदारद मिला। जब सेल और स्टॉक की बारीकी से जांच की गई, तो सामने आया कि कुल ₹41,970 की नकदी गायब है। दोनों युवक न सिर्फ पैसे लेकर भागे बल्कि ठेका पूरी तरह लावारिस छोड़ गए।
🚨 FIR दर्ज, पुलिस ने शुरू की जांच
घटना की गंभीरता को देखते हुए ठेकेदार ने तुरंत पानीपत पुलिस को सूचना दी। चोरी की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस का कहना है कि दोनों आरोपियों की पृष्ठभूमि की जांच की जा रही है और CCTV फुटेज खंगाली जा रही है, ताकि भागने की दिशा और संभावित संपर्कों का पता लगाया जा सके।
📲 फोन नंबर बंद, ठिकाने अज्ञात
चोरी के तुरंत बाद से दोनों आरोपियों के मोबाइल नंबर बंद आ रहे हैं। पुलिस का अनुमान है कि आरोपियों ने भागने से पहले ही SIM cards डिसेबल कर दिए होंगे। उनके आधार और दस्तावेजों की भी जांच की जा रही है, ताकि उनकी पहचान और संभावित लोकेशन का पता लगाया जा सके।
📉 ढिलाई भरी नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल
इस मामले ने एक बार फिर निजी दुकानों और शराब ठेकों में कर्मचारियों की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बिना उचित वेरिफिकेशन और बैकग्राउंड चेक के कर्मचारियों को रखना न सिर्फ व्यवसाय के लिए बल्कि कानूनी और सुरक्षा दृष्टिकोण से भी खतरनाक है।
ऋषिपाल ने खुद बताया कि उसने दोनों युवकों के किसी पहचान पत्र या पुलिस वेरिफिकेशन के बिना ही उन्हें काम पर रख लिया था, क्योंकि वे जरूरतमंद लग रहे थे और काम में जल्दी फिट हो गए।
🏷️ पूर्व में भी हो चुके हैं ऐसे मामले
हरियाणा, पंजाब और दिल्ली NCR में इससे पहले भी Liquor Shops से कैश चोरी या कर्मचारियों के फरार होने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इनमें अधिकतर मामलों में बिना सत्यापन के नियुक्ति, नकद गल्ले की निगरानी में लापरवाही, और CCTV का अभाव कारण बने हैं।