
फिरोजपुर, जून 2025 — पंजाब के फिरोजपुर जिले में सीमा से सटे गांव फत्तूवाला में स्थित भारतीय वायुसेना (Indian Airforce) की अहम एयरस्ट्रिप जमीन को धोखाधड़ी से बेचने का मामला सामने आया है। यह जमीन पाकिस्तान सीमा से सटे इलाकों में स्थित है और 1962, 1965, तथा 1971 के युद्धों में भारतीय वायुसेना द्वारा उपयोग में लाई गई थी। यह जमीन 1939 से भारतीय रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) के अधीन थी।
अब 28 साल बाद, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab Haryana High Court) के हस्तक्षेप के बाद महिला और उसके बेटे के खिलाफ धोखाधड़ी (Land Fraud Case) और राजस्व रिकॉर्ड में जालसाजी करने का केस दर्ज किया गया है। एयरस्ट्रिप को मई 2025 में आधिकारिक रूप से रक्षा मंत्रालय को दोबारा सौंप दिया गया।
🕵️♂️ कैसे हुआ घोटाले का खुलासा?
इस फर्जीवाड़े का खुलासा एक सेवानिवृत्त कानूनगो निशान सिंह ने किया। उन्होंने पंजाब विजिलेंस ब्यूरो (Punjab Vigilance Bureau) को शिकायत भेजी थी। डीएसपी करन शर्मा के नेतृत्व में हुई जांच में सामने आया कि हवाई पट्टी वाली जमीन को सरकारी रिकॉर्ड में “आम भूमि” दर्शा कर अवैध रूप से निजी व्यक्तियों को बेच दिया गया।
📜 पांच अहम बिंदुओं में समझें घोटाले की परतें
1. रिटायर्ड कानूनगो की याचिका से खुला राज
निशान सिंह ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा कि 15 एकड़ की एयरस्ट्रिप वाली यह ज़मीन रक्षा मंत्रालय की है, जिसे कुछ लोगों ने अधिकारियों की मिलीभगत से 2001 में अपने नाम ट्रांसफर करवा लिया। उन्होंने इस केस की CBI या स्वतंत्र एजेंसी से जांच की मांग की थी।
2. वायुसेना ने राज्यपाल को भेजा पत्र
जब फिरोजपुर के Revenue Department ने सुनवाई नहीं की तो वायुसेना के अधिकारी 24 फरवरी 2024 को पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया को पत्र लिखकर इस मामले की जानकारी दी। पत्र में बताया गया कि 1997 में 5 फर्जी सेल डीड (sale deeds) के जरिए जमीन पर कब्जा करने की कोशिश हुई थी।
3. हलवारा एयरबेस के पास था प्रशासनिक नियंत्रण
यह जमीन फिलहाल सेना के पास है लेकिन इसका प्रशासनिक नियंत्रण लुधियाना स्थित Halwara Airbase के पास है। 1997 में उषा अंसल (Usha Ansal) नाम की महिला ने अपने मृत बहनोई मदन मोहन लाल की फर्जी Power of Attorney के आधार पर यह जमीन 5 लोगों को बेच दी थी।
4. 2008 में खरीदारों ने कोर्ट का रुख किया
मामला तब सामने आया जब खरीदारों ने 2008 में सिविल कोर्ट में केस दायर कर सेना को जमीन खाली करने का आदेश देने की मांग की। उन्होंने दावा किया कि वे 1997 से शांतिपूर्वक कब्जे में थे, लेकिन 2006 में सेना ने उन्हें हटाया।
5. लाल बहादुर शास्त्री योजना के तहत फसल प्रबंधक
1964 में पूर्व PM लाल बहादुर शास्त्री की योजना के तहत मदन मोहन लाल को सेना की खाली पड़ी जमीन पर फसल उगाने का अधिकार दिया गया था। योजना के बंद होते ही 982 एकड़ की पूरी भूमि रक्षा मंत्रालय को लौटा दी गई थी। फिर भी इस जमीन को 1997 में फर्जी तरीके से बेचा गया।
📆 हाईकोर्ट की सख्ती और जांच की दिशा
दिसंबर 2023 में हाईकोर्ट ने Ferozepur DC को 6 हफ्तों में जांच रिपोर्ट देने का निर्देश दिया। रिपोर्ट में ज़मीन को अब भी 1958-59 के रिकॉर्ड के अनुसार Defence Ministry के कब्जे में बताया गया। लेकिन याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि कई जरूरी तथ्य छिपा लिए गए।
इसके बाद मई 2025 में जिला प्रशासन ने एयरस्ट्रिप को आधिकारिक रूप से रक्षा मंत्रालय को बहाल कर दिया और महिला-बेटे पर IPC की धारा 420, 467, 468 और 120B के तहत केस दर्ज किया गया।
🛡️ सुरक्षा और संवेदनशीलता की दृष्टि से अहम
यह एयरस्ट्रिप द्वितीय विश्व युद्ध (World War II) के समय ब्रिटिश सरकार द्वारा Royal Air Force के उपयोग के लिए अधिग्रहित 982 एकड़ भूमि का हिस्सा थी। विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार की सैन्य ज़मीन से छेड़छाड़ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर सकती है।