
लुधियाना के सराभा नगर पुलिस ने शहर के डॉक्टर जसबीर सिंह कथूरिया के खिलाफ एक मेडिकल-लीगल मामले में जानबूझकर चोटों को गंभीर बताने और प्रक्रिया का उल्लंघन करने के आरोप में मामला दर्ज किया है। आरोप है कि डॉक्टर ने हमले के शिकार एक व्यक्ति की चोटों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया, जिससे केस की कानूनी दिशा प्रभावित हो सकती थी।
मेडिकल बोर्ड की जांच में यह सामने आया कि डॉक्टर ने चोटों की गंभीरता को जानबूझकर गलत तरीके से दर्शाया। इसके आधार पर सिविल सर्जन की शिकायत पर पुलिस ने डॉक्टर के खिलाफ IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 195 (झूठे साक्ष्य गढ़ना) और 197 (झूठा प्रमाणपत्र जारी करना) के तहत एफआईआर दर्ज की है।
यह मामला मेडिकल-लीगल रिपोर्टिंग की पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है। अधिकारियों का कहना है कि भविष्य में ऐसे मामलों की गहन समीक्षा की जाएगी ताकि अदालतों में पेश की जाने वाली रिपोर्टें सटीक और प्रक्रिया के अनुरूप हों।
11 अप्रैल 2024 की है घटना यह घटना 11 अप्रैल, 2024 की है, जब चार लोगों पर बाड़ेवाल रोड पर पिंक पार्क के निवासी दलजीत सिंह पर कथित रूप से हमला करने के लिए हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया था। बाद में पलविंदर कौर नाम की एक महिला ने पीड़ित की चोटों की मेडिकल रिपोर्टिंग में विसंगतियों का आरोप लगाते हुए सिविल सर्जन को शिकायत दर्ज कराई।
इसके बाद, तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ. जसबीर सिंह औलख द्वारा पांच सदस्यीय मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया। बोर्ड ने पाया कि डॉ. कथूरिया ने MEDLEAPR सॉफ्टवेयर के माध्यम से MLR (मेडिको-लीगल रिपोर्ट) जारी नहीं की थी, जो पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों के तहत अनिवार्य है।
इसके बजाय, उन्होंने पुलिस को एक हस्तलिखित दस्तावेज़ (रुक्का) जारी किया, जिसमें कहा गया था कि चोटें गंभीर थी-बिना चोट के प्रकार, इसकी अवधि या इस्तेमाल किए गए हथियार का विवरण दिया था।
जब पूछताछ की गई, तो डॉ. कथूरिया ने कथित तौर पर कहा कि उनकी इंटर्नशिप के दौरान, उन्हें मौखिक रूप से निर्देश दिया गया था कि शरीर के किसी भी महत्वपूर्ण हिस्से पर कोई भी चोट गंभीर मानी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी दावा किया कि पुलिस ने औपचारिक एमएलआर का विशेष रूप से अनुरोध नहीं किया था।
हालांकि, मेडिकल बोर्ड ने निष्कर्ष निकाला कि चोटें गंभीर या खतरनाक तरीके की नहीं थीं और उन्हें जानबूझकर गलत तरीके से पेश किया गया था। इसके बाद, सिविल सर्जन ने पुलिस कमिश्नर के समक्ष एक सिफारिश दायर की, जिसके परिणामस्वरूप एफआईआर दर्ज की गई।
मामले के जांच अधिकारी एएसआई उमेश कुमार ने पुष्टि की कि जांच जारी है। उन्होंने कहा कि अभी तक, डॉक्टर को गिरफ्तार नहीं किया गया है। सबूतों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।