
Haryana CM Nayab Singh Saini ने Punjab पर लगाया अड़ंगा डालने का आरोप, Punjab सरकार ने कहा – ‘हमारे पास पानी ही नहीं’
Chandigarh, 6 जुलाई 2025 – दशकों से लंबित Sutlej-Yamuna Link (SYL) Canal विवाद को लेकर Haryana और Punjab के बीच एक बार फिर टकराव की स्थिति बन गई है। इस मुद्दे पर चर्चा के लिए केंद्र सरकार ने 9 जुलाई 2025 को Delhi में एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है, जिसमें दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री, जल संसाधन मंत्रालय के अधिकारी और केंद्र के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
Haryana Chief Minister Nayab Singh Saini ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि उनकी सरकार SYL Canal का निर्माण कार्य पूरा कराएगी, भले ही इसके लिए केंद्र को दखल देना पड़े। दूसरी ओर, Punjab Chief Minister Bhagwant Singh Mann ने कहा है कि राज्य के पास खुद अपने लोगों को देने के लिए पर्याप्त पानी नहीं है, ऐसे में दूसरे राज्य को पानी देना संभव नहीं।
SYL Canal विवाद क्या है?
SYL Canal परियोजना की शुरुआत 1982 में हुई थी, जिसका उद्देश्य Punjab से Haryana को सतलुज नदी का हिस्सा देना था। लेकिन Punjab ने जल संकट और राजनीतिक कारणों से इस परियोजना को रोक दिया। 1985 में Rajiv-Longowal Accord के तहत समाधान की कोशिश की गई, लेकिन असफल रही।
Supreme Court of India ने 2016 में आदेश दिया कि Punjab इस परियोजना को रोके नहीं, लेकिन तब से स्थिति जस की तस बनी हुई है। Punjab Assembly ने यहां तक कि 2004 में Punjab Termination of Agreements Act पारित कर अन्य राज्यों से जल-साझा समझौतों को रद्द कर दिया था।
Haryana का रुख
Nayab Singh Saini ने बयान दिया कि,
“हमने Supreme Court के आदेश के बावजूद 40 साल इंतजार किया है। अब Haryana को उसका कानूनी अधिकार मिलना चाहिए। Punjab बार-बार टालमटोल कर रहा है, जिसे केंद्र सरकार को अब बर्दाश्त नहीं करना चाहिए।”
Haryana सरकार का दावा है कि SYL के माध्यम से उन्हें लगभग 1.88 MAF (Million Acre Feet) पानी मिलना चाहिए, जो उनकी कृषि और पेयजल आवश्यकताओं के लिए बेहद जरूरी है।
Punjab का पक्ष
Bhagwant Mann ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा,
“Punjab एक कृषि प्रधान राज्य है जहां भूजल लगातार घट रहा है। हमारे पास खुद के किसान भाइयों को पानी देने में दिक्कत आ रही है। SYL Canal बनाना आज के पर्यावरणीय संकट को और बढ़ाएगा।”
Punjab सरकार का तर्क है कि सतलुज नदी में अब उतना पानी बचा ही नहीं है कि उसे बांटा जाए। साथ ही, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि Haryana असल जल संकट की बजाय राजनीतिक मुद्दा बना रहा है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
Shiromani Akali Dal (SAD) ने AAP सरकार पर आरोप लगाया है कि वह Punjab की पानी की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रही है। पार्टी प्रमुख Sukhbir Singh Badal ने कहा कि,
“Punjab का पानी पंजाबियों का है। कोई भी सरकार इसे छीन नहीं सकती, चाहे वह केंद्र की हो या अदालत की।”
वहीं, Congress ने दोनों सरकारों पर “जनहित से ज़्यादा राजनीतिक लाभ” के लिए विवाद को हवा देने का आरोप लगाया।
केंद्र सरकार की भूमिका
जल शक्ति मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, Union Minister Gajendra Singh Shekhawat इस बैठक में मध्यस्थता करेंगे। केंद्र का रुख है कि Supreme Court के फैसले को लागू करना सभी की जिम्मेदारी है और विवाद का समाधान “राज्यहित और राष्ट्रीय जल नीति” के अनुसार किया जाना चाहिए।
संभावित समाधान क्या हो सकता है?
विशेषज्ञों के अनुसार, केंद्र सरकार एक Water Sharing Tribunal के गठन पर विचार कर रही है या alternate water compensation model की सिफारिश कर सकती है, जिसमें Punjab को SYL Canal बनाने की जगह किसी अन्य स्रोत से Haryana को पानी देना होगा।
निष्कर्ष
SYL Canal केवल एक जल परियोजना नहीं है, बल्कि यह Punjab और Haryana की राजनीतिक, कानूनी और भावनात्मक जड़ें हिला देने वाला मुद्दा बन चुका है। 9 जुलाई की बैठक में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या कोई व्यावहारिक समाधान निकलता है या यह विवाद एक बार फिर अगली पीढ़ी के हवाले कर दिया जाएगा।
यदि आप चाहें तो मैं इस विषय पर विस्तृत कानूनी विश्लेषण, Supreme Court के पुराने फैसलों की समयरेखा, या दोनों राज्यों के जल-आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट भी बना सकता हूँ।