
Punjab में Roadways-PRTC कर्मचारियों की हड़ताल से हड़कंप, 3 दिन तक सड़कों पर नहीं चलेंगी 3000 से ज्यादा सरकारी बसें
पंजाब में Roadways और PRTC (Pepsu Road Transport Corporation) के अनुबंधित कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मंगलवार रात 12 बजे से शुरू हुई तीन दिवसीय हड़ताल के कारण राज्य भर में 3000 से अधिक सरकारी बसें सड़कों से गायब हो गईं। इससे न केवल राज्य के भीतर यात्रियों को परेशानी हो रही है, बल्कि दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड और राजस्थान जाने वाले लोगों की भी यात्रा बाधित हो गई है।
हड़ताल का असर सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि गांवों, टूरिस्ट डेस्टिनेशन और इंटरस्टेट बस रूटों पर भी साफ देखा जा रहा है। इससे यात्रियों को Private Bus Operators और Other State Roadways जैसे हरियाणा रोडवेज, हिमाचल परिवहन निगम पर निर्भर रहना पड़ रहा है।
हड़ताल का कारण क्या है?
PRTC और Punjab Roadways के Contract Employees Union का कहना है कि वे पिछले लंबे समय से वेतनमान, नियमितिकरण (Regularization), रिक्त पदों पर बहाली (Recruitment) और कार्यस्थलों पर सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
Union Leaders का बयान:
“हमने कई बार ज्ञापन और मांग पत्र सौंपे, लेकिन सरकार सिर्फ आश्वासन देती रही। अब जब बात हद से गुजर गई है, तो हमें मजबूरन हड़ताल करनी पड़ रही है। जब तक हमारी मांगों पर सकारात्मक फैसला नहीं लिया जाता, हड़ताल जारी रहेगी।”
10 जुलाई को चंडीगढ़ में विरोध रैली की चेतावनी
संघर्ष को और तेज करते हुए यूनियन ने ऐलान किया है कि अगर सरकार ने 11 जुलाई तक कोई हल नहीं निकाला, तो 10 जुलाई को चंडीगढ़ में विरोध प्रदर्शन होगा। इसमें मंत्री आवासों का घेराव करने की योजना है।
इस रैली में पंजाब भर से रोडवेज और पीआरटीसी कर्मचारी भाग लेंगे और सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति अपनाई जाएगी। यूनियन पदाधिकारियों ने कहा कि यह सिर्फ ट्रांसपोर्ट सेक्टर का मामला नहीं है, बल्कि सरकारी कर्मचारियों के हकों की लड़ाई है।
बस स्टैंड्स पर यात्रियों को हो रही परेशानी
हड़ताल का सबसे अधिक असर आम यात्रियों पर पड़ रहा है, विशेष रूप से उन यात्रियों पर जो रोजाना इंटरस्टेट रूट्स (Delhi, Haryana, Himachal) पर आवाजाही करते हैं।
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कई यात्रियों ने बताया कि बसों की संख्या बेहद कम है, जिससे उन्हें घंटों इंतजार करना पड़ रहा है।
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कुछ यात्री निजी बसों से सफर कर रहे हैं, जो न केवल अधिक किराया वसूल रही हैं, बल्कि ओवरलोडिंग और सीटों की किल्लत भी दिख रही है।
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दिल्ली-लुधियाना, अमृतसर-हरियाणा, पटियाला-चंडीगढ़ जैसे रूट बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
कुछ स्थायी ड्राइवर चला रहे हैं सीमित बसें
हालांकि सरकारी डिपो से कुछ चुनिंदा बसें अभी भी चल रही हैं, लेकिन ये सिर्फ Permanent Drivers द्वारा संचालित की जा रही हैं। डिपो अधिकारियों के अनुसार, एक डिपो से आमतौर पर जहां 70-80 बसें चलती थीं, अब मुश्किल से 10-15 बसें ही संचालित हो पा रही हैं।
बस डिपो सूत्रों के मुताबिक:
“डिपो में खड़ी अधिकांश बसें चालक और कंडक्टर न होने के कारण नहीं चल रही हैं। यात्रियों को पहले से ही सूचित किया गया है कि हड़ताल के चलते सेवाएं सीमित रहेंगी।”
प्राइवेट बस ऑपरेटरों की चांदी
जहां एक ओर सरकारी व्यवस्था चरमराई हुई है, वहीं Private Bus Operators की मांग अचानक से बढ़ गई है। कई प्राइवेट बसें ओवरलोड हो रही हैं और टिकटों के दामों में भी इजाफा देखा गया है। यात्रियों की मजबूरी का लाभ उठाते हुए निजी ऑपरेटरों ने किराया बढ़ाकर दोगुना तक कर दिया है।
सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार
अब तक सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बातचीत जारी है और जल्द ही कोई समाधान निकाला जाएगा।
राज्य सरकार के एक अधिकारी ने कहा:
“हम यूनियन की मांगों पर विचार कर रहे हैं और वार्ता के माध्यम से हल निकालने की कोशिश कर रहे हैं। आम जनता की परेशानी को भी हम गंभीरता से ले रहे हैं।”
निष्कर्ष (Conclusion):
पंजाब में Roadways और PRTC कर्मचारियों की यह हड़ताल सरकार के लिए एक Public Image Crisis बनती जा रही है। खासकर यात्रियों की भारी परेशानी और निजी ऑपरेटरों की मनमानी स्थिति को और गंभीर बना रही है।
अगर सरकार जल्द कोई समाधान नहीं निकालती, तो यह Administrative Failure और Public Discontent दोनों के रूप में देखा जाएगा, जिसका असर आने वाले 2027 के विधानसभा चुनाव तक भी रह सकता है।