
Punjab के श्री मुक्तसर साहिब ज़िले से ट्रांसपोर्ट और किसान आंदोलन से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। दो साल से बंद पड़ा वड़िंग टोल प्लाज़ा (Wading Toll Plaza) अब दोबारा चालू कर दिया गया है। भारतीय किसान यूनियन (डकौंदा) द्वारा जारी लंबे धरने को अब आधिकारिक रूप से समाप्त कर दिया गया है, और टोल प्लाज़ा की कार्यवाही फिर से शुरू हो चुकी है।
🛣️ कहां है ये टोल प्लाज़ा?
यह टोल प्लाज़ा श्री मुक्तसर साहिब से कोटकपूरा को जोड़ने वाले मुख्य राष्ट्रीय मार्ग (Main Road) पर गांव वड़िंग (Wading Village) के पास स्थित है।
यह मार्ग पंजाब के दक्षिणी ज़िलों से होकर गुजरता है, जो व्यापार, कृषि और ट्रांसपोर्ट के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
🪧 किसान आंदोलन और धरना क्यों था?
करीब दो साल पहले, गांव वड़िंग के पास गुजरती नहर में एक बस के गिरने की दर्दनाक दुर्घटना हुई थी।
उसके बाद, BKU डकौंदा ने यह मांग रखी थी:
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नहरों पर सुरक्षा के लिए पक्के पुल बनाए जाएं
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सड़क की मरम्मत करवाई जाए
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जब तक यह कार्य नहीं होता, टोल वसूली बंद रखी जाए
इसके बाद से लगातार किसान संगठन का धरना जारी था और टोल प्लाज़ा से कोई शुल्क नहीं लिया जा रहा था।
🤝 अब क्यों हटाया गया धरना?
हाल ही में किसान संगठन, जिला प्रशासन और टोल कंपनी के बीच कई दौर की बैठकें हुईं।
अंततः एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर हुए, जिसमें यह तय हुआ:
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45 दिनों में नहरों पर पुल निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा
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अगले 1.25 साल में (लगभग 15 महीने) में निर्माण पूरा किया जाएगा
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सड़क की मरम्मत भी प्राथमिकता पर होगी
इसी वादे के बाद BKU डकौंदा ने धरना हटाने का निर्णय लिया।
🗣️ किसान नेता बूटा सिंह बुर्ज गिल का बयान
BKU डकौंदा के प्रधान बूटा सिंह बुर्ज गिल ने मीडिया से बातचीत में कहा:
“हमारा आंदोलन केवल वसूली के खिलाफ नहीं, बल्कि जन सुरक्षा और सड़क सुविधाओं के लिए था। हमने शुरुआत से ही कहा कि पुल और सड़कें दुरुस्त हो जाएं, फिर चाहे टोल वसूली हो।
अब प्रशासन ने हमें लिखित भरोसा दिया है, इसलिए हमने धरना समाप्त करने का फैसला लिया है।”
🧾 समझौते की प्रमुख बातें
बिंदु | विवरण |
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पुल निर्माण की शुरुआत | 45 दिनों के भीतर |
पुल निर्माण की समयसीमा | लगभग 1 साल 3 महीने |
सड़क मरम्मत | चरणबद्ध तरीके से पूरी |
टोल प्लाज़ा संचालन | अब दोबारा पहले की तरह |
टोल कंपनी का वादा | तकनीकी सुरक्षा सुनिश्चित करना |
🚜 किसान संगठनों की रणनीति में बदलाव?
यह फैसला यह भी दर्शाता है कि अब किसान संगठन लंबे आंदोलन की जगह समझौते और संवाद से हल निकालने की ओर झुकाव दिखा रहे हैं।
जहां पहले धरना और विरोध प्राथमिक हथियार थे, वहीं अब वार्ता और लिखित भरोसे को प्राथमिकता दी जा रही है।
🧱 स्थानीय निवासियों का क्या कहना?
वड़िंग और आस-पास के गांवों के लोगों ने टोल चालू होने को मिश्रित प्रतिक्रिया दी है।
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कुछ ने कहा, “अब अगर सुरक्षा और सड़क मिलती है तो टोल देना ठीक है।”
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वहीं कुछ लोगों ने अब भी टोल की जरूरत पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि “जब सड़क पहले ही खराब है तो अभी टोल क्यों?”
📊 टोल के चालू होने से क्या होगा प्रभाव?
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सरकार और टोल कंपनी को फिर से राजस्व प्राप्त होगा
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सड़क की निगरानी और मेंटेनेंस में गति आएगी
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दैनिक यात्री और व्यापारिक वाहन चालकों को थोड़ी असुविधा हो सकती है
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भविष्य में आंदोलन के बजाय संवाद का रास्ता खुला रहेगा