नई दिल्ली। भारत की संसदीय व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने चार प्रतिष्ठित व्यक्तियों को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। इनमें देश के चर्चित और जांबाज़ सरकारी वकील उज्ज्वल निकम का नाम प्रमुखता से शामिल है — वही उज्ज्वल निकम जिन्होंने 26/11 मुंबई हमले के दोषी आतंकवादी अजमल कसाब को फांसी की सजा दिलाई थी। यह नियुक्ति केवल सम्मान की बात नहीं है, बल्कि भारतीय न्याय व्यवस्था, कानून के शासन और आतंकवाद के खिलाफ भारत की अडिग नीति का प्रतीक भी है।
कसाब को मिली सजा-ए-मौत: न्याय की जीत के सूत्रधार
उज्ज्वल निकम का नाम आते ही सबसे पहले याद आता है — 26/11 का वह आतंकवादी हमला जिसने मुंबई को हिला दिया था और देश को गुस्से से भर दिया था। इस भीषण हमले में 166 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए। इस घटना का एकमात्र ज़िंदा पकड़ा गया आतंकवादी था अजमल आमिर कसाब, जिसे न्याय की डोर तक लाने का श्रेय उज्ज्वल निकम को ही जाता है। साल 2009 में उन्होंने विशेष लोक अभियोजक के रूप में यह मुकदमा लड़ा और बेहतरीन पैरवी से कसाब को 2012 में फांसी की सजा दिलवाई।
कसाब जैसे हाई-प्रोफाइल आतंकी केस की सुनवाई के दौरान उज्ज्वल निकम की सुरक्षा को लेकर भी सरकार सतर्क थी और उन्हें Z+ सुरक्षा प्रदान की गई थी। उस समय निकम को सिर्फ एक वकील नहीं, बल्कि न्याय के प्रहरी के रूप में देखा गया।
तीन दशक, 600 से अधिक उम्रकैद, 37 फांसी
उज्ज्वल निकम का कानूनी करियर सिर्फ कसाब तक सीमित नहीं है। वे पिछले तीन दशकों से अधिक समय से आपराधिक न्याय प्रणाली का एक मजबूत स्तंभ बने हुए हैं। उन्होंने अब तक 600 से अधिक अपराधियों को उम्रकैद और 37 को फांसी की सजा दिलाने में सफलता पाई है — यह आंकड़ा भारतीय विधि इतिहास में एक अद्वितीय उपलब्धि है।
इनकी पहचान निडर, निपुण और न्याय के लिए समर्पित वकील के रूप में होती है। उनके सहयोगी और यहां तक कि विरोधी वकील भी उनकी तर्कशक्ति, तथ्यों की गहराई से पड़ताल और अदालती रणनीति की प्रशंसा करते हैं। वे कानून की बारीकियों में माहिर हैं और अदालत में उनके तर्क निर्णायक साबित होते हैं।
पद्मश्री से सम्मानित, जनता के बीच मजबूत छवि
उज्ज्वल निकम के योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 2016 में ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया था, जो देश का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। उन्हें यह पुरस्कार विशेष रूप से आतंकवाद, संगठित अपराध और समाज को नुकसान पहुंचाने वाले गंभीर मामलों में सख्त कानूनी कार्रवाई के लिए दिया गया था।
उन्हें आम जनता के बीच एक साहसी और निडर वकील के तौर पर जाना जाता है, जो न्यायपालिका की मर्यादाओं और सिद्धांतों में अटूट विश्वास रखते हैं। उनका मानना है कि कानून सबके लिए एक समान होना चाहिए और आतंकवादियों या संगठित अपराधियों के लिए कोई नरमी नहीं होनी चाहिए।
राजनीति में भी रखा कदम, पहली परीक्षा में मिली हार
कानूनी क्षेत्र में अपनी गहरी पकड़ बनाने के बाद उज्ज्वल निकम ने 2024 के लोकसभा चुनाव में भी अपनी किस्मत आजमाई। उन्हें भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मुंबई नॉर्थ सेंट्रल लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया था। यह वही सीट है जिसे पहले पूनम महाजन संभाल रही थीं।
हालांकि, यह उनकी राजनीति की पहली परीक्षा थी और उन्हें कांग्रेस की नेता वर्षा गायकवाड़ से कड़ी टक्कर मिली। अंततः उन्हें करीब 16,000 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा। लेकिन इस हार से उनका मनोबल नहीं टूटा। बल्कि, इस चुनावी अनुभव ने उन्हें सार्वजनिक जीवन की नई दिशा दी, जिसका अगला चरण अब राज्यसभा की सदस्यता के रूप में सामने आया है।
राज्यसभा में चार प्रमुख नाम, देश की विविधता का प्रतिनिधित्व
राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा के लिए मनोनीत किए गए अन्य नाम भी भारत की विविधता और विशेषज्ञता को दर्शाते हैं। उज्ज्वल निकम के साथ-साथ पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला, प्रख्यात इतिहासकार मीनाक्षी जैन और केरल के समाजसेवी सदानंदन मास्टर को भी राज्यसभा में भेजा गया है। ये सभी व्यक्ति अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान दे चुके हैं और अब देश की नीति-निर्माण प्रक्रिया में अपनी भूमिका निभाएंगे।