
अलीगढ़।
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जिसमें एक बिल्डर और उसके भाइयों की हत्या के लिए एक करोड़ रुपये की सुपारी दी गई, लेकिन इस साजिश ने एक अलग ही मोड़ ले लिया। सुपारी लेने वाले शूटरों ने न केवल हत्या करने से इनकार किया बल्कि बिल्डर से और अधिक पैसे की मांग करते हुए रंगदारी शुरू कर दी। अंततः, इन शूटरों ने बिल्डर के करीबी और जिला पंचायत सदस्य के पति पर फायरिंग कर दी।
पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीन शूटरों को गिरफ्तार कर लिया है। इस मामले ने न सिर्फ प्रॉपर्टी विवाद की परतें खोली हैं, बल्कि यह भी उजागर किया है कि कैसे आपराधिक तत्व निजी दुश्मनी और धन के लिए कानून को खुलेआम चुनौती दे रहे हैं।
मामले की जड़: एक दुकान की रजिस्ट्री से शुरू हुई रंजिश
पूरे मामले की शुरुआत बिल्डर राधे सैनी के साले पवन से जुड़ी एक दुकान की रजिस्ट्री से हुई। जानकारी के मुताबिक, धर्मेंद्र उर्फ चीनू और रोशन शर्मा उर्फ पप्पू पहलवान ने कम कीमत में एक दुकान की रजिस्ट्री करवा ली। जब बिल्डर को इसकी जानकारी मिली, तो उसने इसकी शिकायत कर दी।
शिकायत से नाराज होकर चीनू और रोशन ने राधे सैनी और उनके भाइयों की हत्या की योजना बनाई और इसके लिए तीन शूटरों – आरिफ, बबलू और विक्रम – को एक करोड़ रुपये की सुपारी दे दी।
हत्या की साजिश का बदला मोड़: रंगदारी की शुरुआत
हत्या की योजना के तहत शूटरों ने 18 जून को मथुरा रोड के सहारनपुर गांव के पास एक प्लॉट दिखाने के बहाने बिल्डर राधे को बुलाया। लेकिन राधे को शक हो गया और उसने मौके पर ही शूटरों को अधिक पैसा देने की पेशकश कर दी – यानी, एक करोड़ से अधिक।
शूटर इस प्रस्ताव पर राजी हो गए और तमंचे के बल पर राधे से 35 हजार रुपये मौके पर ही वसूल लिए। इसके बाद से शूटरों ने राधे को बार-बार फोन कर रकम देने के लिए धमकाना शुरू कर दिया। अब यह पूरा मामला सुपारी से रंगदारी वसूलने में बदल गया।
दबाव बढ़ाने के लिए साथी पर हमला
इस रंगदारी के दबाव को और बढ़ाने के लिए शूटरों ने 10 जुलाई की सुबह हरदुआगंज के जिला पंचायत सदस्य दुर्गेश कुमारी के पति वीरपाल दिवाकर की कार पर फायरिंग कर दी। वीरपाल, जो अक्सर बिल्डर राधे के साथ रहते हैं, अपनी बोलेरो से अलीगढ़ की ओर जा रहे थे तभी पल्सर बाइक सवार तीन हमलावरों ने उनकी कार रुकवाई और नाम पूछते ही गोलियां चला दीं।
गोलियां उनकी कार की सीट और कांच में लगीं, लेकिन वीरपाल बाल-बाल बच गए। वह तुरंत राधे सैनी के पास पहुंचे और उन्हें घटना की जानकारी दी। इस घटना के 36 घंटे बाद पुलिस को सूचना दी गई, जिसके बाद मामला दर्ज किया गया।
पुलिस की कार्रवाई: तीन आरोपी गिरफ्तार
वीरपाल की तहरीर के बाद मडराक पुलिस ने सक्रियता दिखाई और जांच शुरू की। पुलिस ने शूटर आरिफ (कासगंज), बबलू कश्यप (धनीपुर, अलीगढ़), और सुपारी देने वाले धर्मेंद्र उर्फ चीनू (ज्वालापुरी, क्वार्सी) को गिरफ्तार कर लिया।
बरामद सामग्री:
तीन देशी तमंचे
आठ जिंदा कारतूस
रंगदारी के 21 हजार रुपये
एक पल्सर बाइक
गिरफ्तार आरोपियों में बबलू पर हत्या और लूट के 15 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं, जबकि आरिफ पर भी कासगंज और एटा में आपराधिक मामले हैं।
पुलिस की चूक और आरोप
फायरिंग जैसी गंभीर घटना के बाद भी पुलिस 36 घंटे तक अंजान बनी रही। न तो कोई त्वरित एफआईआर हुई, न ही मीडिया को सूचना दी गई। एसएसआई विदेश राठी, जो मामले की विवेचना कर रहे हैं, ने स्पष्ट किया कि वीरपाल ने घटना के तुरंत बाद कोई सूचना नहीं दी। शुक्रवार शाम को जब वे तहरीर लेकर थाने पहुंचे, तभी पुलिस ने मामला दर्ज किया।
सवाल खड़े करता है यह मामला
यह मामला कई गंभीर सवाल खड़े करता है:
आपराधिक तत्व कैसे खुलेआम सुपारी लेकर लोगों की जान लेने के लिए घूम रहे हैं?
रंगदारी और सुपारी के बीच की रेखा इतनी धुंधली क्यों होती जा रही है?
पुलिस का रिस्पॉन्स सिस्टम इतनी देर क्यों कर रहा है, जब जानलेवा हमला हो चुका हो?
क्या माफिया मानसिकता अब हर छोटे-बड़े शहर में फैली हुई है?