
नई दिल्ली। भारत और इंग्लैंड के बीच चल रही टेस्ट सीरीज में रोमांचक मोड़ उस वक्त आया जब भारतीय बल्लेबाजों ऋषभ पंत और केएल राहुल ने एक शानदार साझेदारी के बाद, लंच से ठीक पहले दो अहम विकेट गंवा दिए। इन दो विकेटों ने इंग्लैंड को ना सिर्फ राहत दी, बल्कि उन्हें मैच में वापसी का मौका भी दे दिया।
जहां एक ओर केएल राहुल ने शतक पूरा किया, वहीं पंत 74 रन बनाकर दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से रन आउट हो गए। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर भारत के पूर्व कप्तान अनिल कुंबले ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने पंत और राहुल की जल्दबाजी को अनावश्यक बताया और इसे “बिल्कुल बचने योग्य गलती” करार दिया।
पंत का जुझारू प्रदर्शन, लेकिन जल्दबाजी ने किया नुकसान
भारतीय टीम की पहली पारी के दौरान विकेटकीपर-बल्लेबाज ऋषभ पंत ने अपनी चोटिल उंगली के बावजूद बेहतरीन जुझारूपन दिखाया। उन्होंने दर्द में भी 112 गेंदों पर 74 रनों की तेजतर्रार पारी खेली और बेन स्टोक्स की गेंद पर छक्का लगाकर अर्धशतक पूरा किया।
ऐसा लग रहा था कि लंच से पहले वह और राहुल मिलकर पारी को और मजबूती देंगे। लेकिन ठीक लंच से कुछ मिनट पहले, पंत ने शोएब बशीर की गेंद पर एक रन लेने का जोखिम उठाया और रन आउट हो गए। इसी के साथ लंच की घोषणा कर दी गई।
कुंबले का दो टूक विश्लेषण: “इसकी कोई जरूरत नहीं थी”
इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए अनिल कुंबले ने स्टार स्पोर्ट्स पर कहा,
“मुझे लगता है कि कॉल पहले पंत ने किया, लेकिन फिर वह हिचकिचा गए। शायद उन्होंने सोचा कि रन नहीं बनेगा। लेकिन केएल राहुल क्रीज से बाहर निकल आए थे, जिससे पंत को दौड़ना पड़ा।”
उन्होंने आगे कहा,
“यह पूरी तरह से अनावश्यक था। जब तीन गेंदें बची थीं, तब रुक कर लंच पर जाया जा सकता था। फिर बाद में पारी को और बेहतर तरीके से आगे बढ़ाया जा सकता था। लेकिन उस जल्दबाजी का नतीजा यह निकला कि इंग्लैंड को मौका मिल गया।”
“जो रूट ने एक रात इंतजार किया” – कुंबले ने दिया उदाहरण
अपनी बात को स्पष्ट करते हुए कुंबले ने इंग्लैंड के पूर्व कप्तान जो रूट का उदाहरण दिया।
उन्होंने कहा,
“जो रूट 99 रन पर थे, लेकिन उन्होंने अगली सुबह बल्लेबाजी करने का फैसला किया। उन्होंने इंतजार किया, संयम रखा और अगली पारी में शानदार खेल दिखाया। यही एक बड़ा खिलाड़ी करता है। लेकिन पंत और राहुल ने वह धैर्य नहीं दिखाया।”
केएल राहुल की ऐतिहासिक पारी का अंत भी निराशाजनक
पंत के आउट होने के बाद भारत के लिए राहत की बात यह रही कि लंच से पहले केएल राहुल ने शानदार शतक पूरा कर लिया। उन्होंने बेहतरीन नियंत्रण और क्लास के साथ बल्लेबाजी करते हुए 100 रन बनाए। लेकिन जैसे ही दूसरा सत्र शुरू हुआ, राहुल भी ज्यादा देर टिक नहीं सके। वे भी शोएब बशीर की गेंद का शिकार बन गए।
इस दोहरे झटके ने भारत को गहरे संकट में डाल दिया। पहले पंत और फिर राहुल के आउट होते ही इंग्लैंड की टीम ने दबाव बनाना शुरू कर दिया और भारतीय टीम 387 रन पर सिमट गई।
पंत की चोट और आक्रामकता: बहादुरी या जल्दबाजी?
पंत की पारी में बहादुरी तो साफ झलकती थी। वह मैदान में उंगली में पट्टी बांधे हुए उतरे, और चोट के बावजूद उन्होंने आक्रामक शॉट्स खेले। मगर पूर्व खिलाड़ियों का मानना है कि उस समय परिस्थिति को देखकर थोड़ा संयम बरतना जरूरी था।
कुंबले का मानना है कि,
“अगर वे दोनों बल्लेबाज थोड़ी देर रुक जाते, तो भारत 400 के पार जा सकता था। साथ ही इंग्लैंड पर मनोवैज्ञानिक दबाव भी बना रहता।”
इंग्लैंड को मिला जीवनदान
इंग्लैंड के लिए यह दो विकेट निर्णायक साबित हुए। पहले सत्र में अगर राहुल और पंत टिके रहते, तो भारत की स्थिति बेहद मजबूत हो जाती। लेकिन दो सत्रों के बीच भारत की सबसे बड़ी साझेदारी टूटने से इंग्लिश टीम ने खेल में वापसी की राह बना ली।
बेन स्टोक्स ने भी इसे स्वीकार किया कि,
“हमने शुरुआत में अच्छी गेंदबाजी की, लेकिन पंत-राहुल ने दबाव हटा दिया था। लंच से पहले पंत का रन आउट और फिर राहुल का आउट होना हमारे लिए गेम-चेंजर रहा।”