
भारतीय नागरिक निमिषा प्रिया, जो यमन में हत्या के एक मामले में मौत की सजा का सामना कर रही थीं, अब उन्हें जीवनदान मिल गया है। यह फैसला एक उच्चस्तरीय बैठक के बाद लिया गया, जिसे भारत सरकार की बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है। भारत के ग्रैंड मुफ्ती शेख अबू बकर अहमद और ऑल इंडिया जमीयतुल उलेमा के प्रयासों के चलते यह सजा रद्द हुई। ग्रैंड मुफ्ती एक धार्मिक नेता हैं जो इस्लामी कानून (शरिया) के बड़े जानकार माने जाते हैं।
सजा टल चुकी थी, अब पूरी तरह खत्म
16 जुलाई को निमिषा को फांसी दी जानी थी, लेकिन उसे टाल दिया गया था। भारत सरकार ने मृतक के परिवार को ब्लड मनी (मुआवज़ा) देने की पेशकश की थी, पर परिवार तैयार नहीं था। अब यमन की हूती सरकार ने सजा को पूरी तरह रद्द कर दिया है।
कौन हैं शेख अबू बकर अहमद?
शेख अबू बकर को भारत के 10वें ग्रैंड मुफ्ती के रूप में जाना जाता है। उनका असली नाम कंथापुरम एपी अबू बकर मुस्लियार है। वे केरल से हैं और इस्लामिक शिक्षाओं के बड़े जानकार हैं। हालांकि, यह पद सरकारी मान्यता प्राप्त नहीं है, लेकिन उनकी बातों को धार्मिक मामलों में काफी सम्मान दिया जाता है।
निमिषा प्रिया की कहानी कहां से शुरू हुई?
- निमिषा प्रिया केरल की रहने वाली हैं।
- साल 2018 में, जब वो सिर्फ 18 साल की थीं, उन्होंने नर्सिंग की पढ़ाई पूरी की।
- उनकी मां दूसरों के घरों में काम करती थीं।
- केरल में नौकरी नहीं मिली, तो उन्हें पता चला कि यमन में नर्सों की काफी मांग है।
- बेहतर भविष्य की उम्मीद में वे यमन चली गईं और वहां एक सरकारी अस्पताल में नौकरी मिल गई।
केरल में शादी, फिर यमन में नई शुरुआत
- निमिषा भारत लौटीं और टॉमी थॉमस नामक व्यक्ति से शादी की, जो ऑटो चालक था।
- दोनों फिर यमन लौट गए और वहां रहने लगे।
- 2012 में उनकी एक बेटी हुई।
- पर बेटी की देखभाल मुश्किल होने लगी, इसलिए 2014 में टॉमी बेटी को लेकर कोच्चि लौट गया।
क्लिनिक खोलने की चाह में उलझी जिंदगी
- यमन में गृहयुद्ध शुरू हो गया था, लेकिन निमिषा ने वहीं रुकने और अपना क्लिनिक खोलने का फैसला किया।
- यमन के कानून के अनुसार, किसी विदेशी को बिजनेस के लिए स्थानीय नागरिक की साझेदारी ज़रूरी होती है।
- इसी दौरान उनकी मुलाकात तलाल अब्दो महदी नामक यमनी नागरिक से हुई।
- महदी ने क्लिनिक में साझेदार बनने की बात मानी और दोनों ने 2015 में क्लिनिक शुरू किया।
महदी ने किया अत्याचार और धोखा
- निमिषा जब कुछ समय के लिए भारत गईं, तब महदी ने उनके शादी की तस्वीरें चुरा लीं और झूठ फैलाया कि वह उसकी पत्नी है।
- महदी ने क्लिनिक की कमाई अपने पास रखना शुरू कर दी और क्लिनिक को अपनी संपत्ति बताने लगा।
- वह निमिषा को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने लगा।
- उसने उनका पासपोर्ट छीन लिया, ताकि वे भारत न लौट सकें।
क्या है हत्या की घटना
- जब निमिषा ने पुलिस से मदद मांगी, तो उल्टा उन्हीं को गिरफ्तार कर लिया गया।
- तब उन्होंने जेल की एक वार्डन को अपनी कहानी बताई।
- वार्डन ने सुझाव दिया कि महदी को ड्रग्स देकर बेहोश करें और पासपोर्ट लेकर भाग जाएं।
- पहली बार दवा का असर नहीं हुआ, लेकिन दूसरी बार महदी को ड्रग्स का ज्यादा डोज देने से उसकी मौत हो गई।
- इसके बाद, घबराकर निमिषा ने महदी के शव को टुकड़े करके एक टैंक में छिपा दिया और भागने की कोशिश की।
गिरफ्तारी और मौत की सजा
- यमन की पुलिस ने महदी के गायब होने की जांच शुरू की।
- एक महीने बाद, निमिषा को सऊदी अरब की सीमा के पास से गिरफ्तार कर लिया गया।
- 2024 में निमिषा को हत्या के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई थी।
अब मिली नई जिंदगी
भारत सरकार और धार्मिक संगठनों के प्रयासों के बाद अब निमिषा की मौत की सजा रद्द कर दी गई है। यह न सिर्फ एक महिला के लिए नई शुरुआत है, बल्कि भारत की कूटनीति और इंसानियत की एक मिसाल भी है।