
हिमाचल के पहाड़ों में लगातार हो रही बारिश और डैम से छोड़े पानी के कारण भुलत्थ उपमंडल के मंड क्षेत्र के दर्जनों गांवों में ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ गया है, जिससे किसानों की सैकड़ों एकड़ विभिन्न फसलें जलमग्न हो गई हैं। इससे मंड हबीबवाल टांडी, रायपुर दाउदपुर, मिर्जापुर, चकोकी मंड, बुताला, ढिलवां आदि क्षेत्रों में धान और सब्जियां उगाने वाले कई किसानों की हजारों एकड़ फसलें पानी में डूब गई हैं। किसानों का कहना है कि पानी धीरे-धीरे बढ़ रहा है, जिसके कारण वहां रहने वाले गुज्जर अपने मवेशियों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर ले जा रहे हैं और सड़कों पर आश्रय स्थल बना लिया हैं।
बता दें कि 10 दिन पहले भी उपरोक्त मंड क्षेत्रों में पानी भर जाने से लोगों की फसलें बर्बाद हो गई थी और अब भी मंड क्षेत्र के दर्जनों गांव इस पानी से प्रभावित हैं। जानकारी के अनुसार रणधीर सिंह की 35 एकड़ धान, नंबरदार मलकीत सिंह की 15 एकड़, परमजीत सिंह की 15 एकड़, रणजीत सिंह की 15 एकड़, सुखविंदर सिंह की 15 एकड़, बाबा हरदीप सिंह की 12 एकड़, मनजीत कौर की 15 एकड़, निशान सिंह की 10 एकड़, कुलतार पवितर सिंह की 9 एकड़, वरिंदर सिंह, आसिफ अली, शाह अली, अहसान अली, जलाउद्दीन सभी निवासी चक्कोकी, खुशदीप खैरा रायपुर रायन मंड व अन्य किसानों की हजारों एकड़ फसल जिसमें धान, मक्का, गन्ना व अन्य फसलें जलमग्न हो गई हैं। चक्कोकी के सरपंच जगतार सिंह हैप्पी खादर व अन्य ने बताया कि दरिया पार ब्यास का धार्मिक डेरा दरिया के प्राकृतिक बहाव से छेड़छाड़ कर रहा है और मंड की तरफ जगह-जगह बांध बना रहा है, जिससे हर साल पानी मंड में आ जाता है।
क्या कहते हैं अधिकारी
जल निकासी प्रशासन, कपूरथला के एस.डी.ओ. खुशमिंदर सिंह ने बताया कि चक्की और मीरथल से अचानक आई बाढ़ के कारण ब्यास नदी में अभी 76 हजार क्यूसेक पानी बह रहा है, जो धीरे-धीरे कम होने लगेगा और अभी इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि और पानी छोड़ा जाएगा या नहीं। उन्होंने लोगों से अपील की कि घबराने की जरूरत नहीं है, पानी धीरे-धीरे कम हो रहा है।