जिस सपने को पूरे परिवार ने आंखों में सजाया था, वो ताबूत में लिपटकर लौटेगा, यह किसी ने नहीं सोचा था। विदेश जाकर पढ़ाई करने और कुछ बनने की तमन्ना लिए रूस गया 20 वर्षीय साईं ध्रुव कपूर अब इस दुनिया में नहीं रहा। 28 जुलाई को मास्को की एक झील में डूबने से उसकी मौत हो गई। सोमवार को जब उसका पार्थिव शरीर खन्ना के सनसिटी इलाके में पहुंचा, तो सन्नाटा पूरे मोहल्ले में छा गया।ध्रुव, कपूर परिवार का इकलौता चिराग था। जैसे ही एंबुलैंस गली में रुकी और ताबूत घर के दरवाजे पर रखा गया, मां की चीखें आसमान तक पहुंच गईं । “बेटा, तू तो कहता था डिग्री लेकर लौटूंगा… अब यूं क्यों आया?” पिता ताबूत से लिपटकर बिलखते रहे। रिश्तेदार और पड़ोसी उन्हें संभालने की कोशिश करते रहे, लेकिन इस टूटे परिवार को कोई शब्द ढांढस नहीं बंधा सके।ध्रुव की मौत के बाद उसकी डैड बॉडी को भारत लाने के लिए परिवार को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। लेकिन केंद्र सरकार, एन.आर.आई. सैल और कई स्थानीय नेताओं की मदद से यह संभव हो सका। भाजपा नेता गौरव लूथरा ने रूस में ध्रुव के दोस्तों से संपर्क कर जरूरी दस्तावेज मंगवाए। परम वालिया ने विदेश मंत्रालय तक बात पहुंचाई। अनुज छाहड़िया और पूर्व सांसद अविनाश राय खन्ना के प्रयासों से भी मामला उच्च स्तर तक गया। अंतिम संस्कार में शामिल हुए अकाली दल के वरिष्ठ नेता यादविंदर सिंह यादू समेत सैकड़ों लोगों की आंखें नम थीं। ध्रुव अब नहीं है, लेकिन उसकी मां की चीरती चीखें, “हमने तो पढ़ाने भेजा था… बेटे की लाश नहीं मंगवाई थी,” हमेशा इस शहर के दिल में गूंजती रहेंगी।