
आगरा को ताजमहल के लिए पूरी दुनिया जानती है, लेकिन उसी शहर के दयालबाग इलाके में एक और बहुत ही सुंदर और खास इमारत है – स्वामी बाग मंदिर। यह मंदिर राधास्वामी मत के संस्थापक पूरन धानी महाराज की याद में बनाया जा रहा है। आइये जानते हैं इसे विस्तार से…
120 साल से बन रहा है यह भव्य मंदिर
इस मंदिर का निर्माण लगभग 120 साल पहले शुरू हुआ था और अब यह लगभग पूरा हो चुका है। इसे बनाने का काम 1904 में शुरू हुआ था और यह आज भी धीरे-धीरे श्रद्धा और नक्काशी के साथ बनता रहा है।
मंदिर में सोने और चांदी का इस्तेमाल
इस मंदिर को सफेद संगमरमर से बनाया गया है। इसकी दीवारों, छतों और दरवाजों पर बहुत बारीक नक्काशी की गई है। मंदिर का ऊपरी कलश (शिखर पर लगाया जाने वाला हिस्सा) आगरा का सबसे बड़ा और चमकदार माना जाता है। इसमें सोने और चांदी का प्रयोग किया गया है, जो इसे और खास बनाता है।
चार पीढ़ियों ने बनाया यह मंदिर
इस मंदिर को बनाने में मजदूरों और कलाकारों की चार पीढ़ियों ने मेहनत की है। इसका हर हिस्सा हाथ से तराशा गया है और नक्काशी बेहद बारीकी से की गई है। मंदिर में पूरन धानी महाराज की प्रतिमा भी स्थापित की गई है।
मंदिर की खास डिजाइन…
इस मंदिर की नींव 19वीं सदी में रखी गई थी। इसे मजबूत बनाने के लिए 52 कुएं खोदे गए और उनमें गहराई तक पत्थर डाले गए। मंदिर में पांच बड़े द्वार हैं, जो ‘राधास्वामी’ नाम के पांच अक्षरों का प्रतीक हैं।
दीवारों पर फल और सब्जियों की बेलें पत्थर से बनाई गई हैं और उनके वैज्ञानिक नाम भी लिखे गए हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है कि सभी डिजाइनों में सिर्फ एक जीवित प्राणी – तितली को दर्शाया गया है।
मंदिर निर्माण में नहीं लिया गया कोई चंदा
यह मंदिर आम मंदिरों से बिल्कुल अलग है क्योंकि इसके निर्माण में कभी किसी से चंदा या दान नहीं लिया गया। इसका सारा खर्च राधास्वामी मत के अनुयायियों ने खुद उठाया है। हर साल इसके निर्माण पर करीब 7 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
क्रेन की मदद से भी पूरे परिसर का ऊपर से नजारा दिखाया जाता
मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए दर्शन की बहुत सुंदर व्यवस्था की गई है। यहां तक कि क्रेन की मदद से भी पूरे परिसर का ऊपर से नजारा दिखाया जाता है।
विदेशी पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र
अब यह मंदिर सिर्फ भारत के लोगों को ही नहीं, बल्कि विदेशी पर्यटकों को भी बहुत आकर्षित कर रहा है। इसकी खूबसूरती, आध्यात्मिकता और शांत वातावरण इसे खास बनाते हैं। इसका मकसद श्रद्धा और सेवा की भावना को दिखाना है, जो इसे ताजमहल से अलग करता है।