
(अर्चना सेठी)पंजाब के कृषि और किसान कल्याण मंत्री गुरमीत सिंह खुड़ियां ने कपास पट्टी के मुख्य कृषि अधिकारियों को ‘सफेद सोना’ मानी जाने वाली नरमे की फसल की प्रगति और स्थिति संबंधी रिपोर्ट सप्ताह में दो बार देने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही उन्होंने फील्ड अधिकारियों को 10 अगस्त 2025 तक धान की सीधी बिजाई (डीएसआर) की फील्ड वेरिफिकेशन पूरी करने के निर्देश दिए हैं, ताकि प्रति एकड़ 1,500 रूपये की प्रोत्साहन राशि पात्र किसानों के बैंक खातों में सीधे ट्रांसफर की जा सके।
ये निर्देश आज सभी मुख्य कृषि अधिकारियों और विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आयोजित उच्च स्तरीय वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान जारी किए गए।खेतीबाड़ी मंत्री ने मुख्य कृषि अधिकारियों को गुलाबी सुंडी, सफेद मक्खी, तेला, थ्रिप्स और अन्य कीटों के हमलों की निगरानी और प्रबंधन हेतु नियमित रूप से नरमे के खेतों का निरीक्षण करने के आदेश दिए। उन्होंने अधिकारियों को धान की फसल में मधरेपन से संबंधित वायरस से बचाव हेतु फसल का निरीक्षण करने और किसानों को इसके प्रभावी नियंत्रण उपायों के संबंध में मार्गदर्शन देने को भी कहा।
फाजिल्का और कपूरथला जिलों में वर्षा के कारण खेतों में पानी भरने की स्थिति पर गहरी चिंता प्रकट करते हुए खुड़ियां ने कृषि विभाग के अधिकारियों को प्रभावित खेतों का नियमित निरीक्षण करने और अन्य विभागों तथा जिला प्रशासन के सहयोग से खेतों से पानी की निकासी शीघ्र सुनिश्चित करने और फसल को बचाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार राज्य के किसानों के हितों की हर परिस्थिति में रक्षा और सहायता हेतु पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
इस अवसर पर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रशासनिक सचिव डॉ. बसंत गर्ग ने फील्ड स्टाफ को खाद डीलरों पर निगरानी रखने और जमाखोरी रोकने के निर्देश दिए। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा कि यूरिया का उपयोग केवल कृषि उद्देश्यों के लिए ही किया जाए और किसी भी स्थिति में इसे औद्योगिक क्षेत्र में न जाने दिया जाए।
कृषि विभाग के निदेशक जसवंत सिंह ने गुरमीत सिंह खुड़ियां को जानकारी दी कि फाजिल्का और बठिंडा जिलों में नरमे के खेतों में कीट हमले के आठ हॉटस्पॉट की पहचान की गई है। विभाग के अधिकारियों द्वारा इन क्षेत्रों के किसानों को पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा अनुशंसित कीटनाशकों के प्रयोग की सलाह दी गई है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि कीटों का यह हमला पूर्ण रूप से नियंत्रण में है और आर्थिक सीमा से नीचे है।