
297 साल बाद रक्षाबंधन पर दुर्लभ ग्रह योग
Raksha Bandhan 2025 : इस बार रक्षाबंधन का दिन बेहद खास रहने वाला है, क्योंकि लगभग 297 साल बाद ऐसा ग्रहों का संयोग बन रहा है। ज्योतिषियों के अनुसार, आखिरी बार यह स्थिति साल 1728 में बनी थी। उस समय भी रक्षाबंधन के दिन भद्रा काल नहीं था और ग्रहों की स्थिति बिलकुल वैसी ही थी जैसी इस बार होगी।
ग्रहों की स्थिति रक्षाबंधन पर
- सूर्य – कर्क राशि में
- चंद्रमा – मकर राशि में
- मंगल – कन्या राशि में
- बुध – कर्क राशि में
- शुक्र – मिथुन राशि में
- राहु – कुंभ राशि में
- केतु – सिंह राशि में
रक्षाबंधन पर किन गलतियों से बचें
- अशुभ मुहूर्त में राखी न बांधें
राखी बांधने का सबसे अच्छा समय शुभ मुहूर्त होता है। अशुभ या भद्रा काल में राखी बांधने से बचें, क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है।
- पूजा की थाली सही तरह से तैयार करें
राखी बांधने से पहले थाली में ये चीजें ज़रूर रखें –
- अक्षत (चावल)
- दीपक
- राखी
- नारियल
- रोली
- जल
ये वस्तुएं पूजा को पूर्ण और शुभ बनाती हैं।
- काले कपड़े न पहनें
रक्षाबंधन के दिन उजले, हल्के या चमकीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। काले रंग के कपड़े पहनने से बचें।
- काले रंग की राखी न बांधें
काले रंग की राखी अशुभ मानी जाती है, इसलिए भाई की कलाई पर लाल, पीले, हरे या सुनहरे रंग की राखी बांधें।
- राखी बांधते समय सही दिशा में बैठें
राखी बांधते समय पूर्व दिशा या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ माना जाता है। यह रिश्तों में सकारात्मकता और सौभाग्य लाता है।
रक्षाबंधन से जुड़ी द्रौपदी और श्रीकृष्ण की कथा
रक्षाबंधन से जुड़ी इस कथा के अनुसार एक बार भगवान श्रीकृष्ण के हाथ में चोट लग गई थी जिससे लगातार खून बह रह था तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर श्रीकृष्ण की उंगली पर बांध दिया, जिससे उनका खून बहना रुक गया। भगवान कृष्ण ने इस प्रेम और विश्वास के बदले द्रौपदी को उनकी रक्षा का वचन दिया। बाद में जब कौरवों ने द्रौपदी का चीरहरण करने की कोशिश की थी तो श्रीकृष्ण ने उनकी रक्षा की थी। यह कथा रक्षाबंधन के रक्षा सूत्र के महत्व को दर्शाती है।