
पंजाब डेस्क। जालंधर-होशियारपुर नेशनल हाईवे पर आदमपुर से आगे मंडियाला गांव के पास शुक्रवार रात एक भयानक हादसा हुआ था। गैस टैंकर और बोलेरो की टक्कर के बाद जोरदार धमाका हुआ और आग का गोला बन गया। आग इतनी तेज थी कि आसपास 70-80 मीटर तक जितनी दुकानें और घर थे, सब जलकर खाक हो गए।
गांव के लोग रातभर दहशत में रहे
अचानक हुए धमाके और आग की वजह से लोग समझ ही नहीं पाए कि हुआ क्या है। कुछ लोग अपनी जान बचाने में सफल रहे तो कुछ लोग जलते हुए मलबे में फंस गए। एक व्यक्ति छत से कूदकर बचा लेकिन उसके पैर टूट गए। गांव और आसपास के लोग रातभर दहशत में रहे।
सरपंच ने परिवार को ऐसे बचाया
धमाके वाली जगह के ठीक सामने पूर्व सरपंच रेशम सिंह का घर था। उस समय घर में उनके साथ परिवार के सात लोग मौजूद थे। जैसे ही धमाका हुआ, उन्होंने तुरंत घर के अंदर और बाहर सीढ़ियां लगाईं। बच्चों और परिवार को सीढ़ियों से नीचे उतारकर खेतों की तरफ ले गए।उनके घर के शीशे टूट गए, कार का बंपर निकल गया और बिजली के स्विच पिघल गए।
रेशम सिंह ने कहा कि उन्हें लगा अब मौत सामने खड़ी है। लेकिन परमात्मा की कृपा से उनका परिवार बच गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आसपास के खेतों में कई सालों से अवैध रूप से गैस का धंधा चल रहा है।
मेडिकल स्टोर संचालक के पिता जिंदा जले
हादसे के समय जिस जगह टैंकर में आग लगी, उसके ठीक सामने एक मेडिकल स्टोर था। लोग बताते हैं कि यह इलाके का सबसे अच्छा मेडिकल स्टोर था। स्टोर के मालिक के पिता छत पर थे और आग की चपेट में आ गए। वह बाहर नहीं निकल पाए और वहीं जिंदा जल गए।उसी हादसे में सब्जी से भरी पिकअप का ड्राइवर भी अपनी सीट पर ही जल गया।
जूते की दुकान वाले ने बचाई जान
पास के गांव से आए तरणजीत सिंह ने बताया कि सामने एक जूतों की दुकान थी। वहां रहने वाले दुकानदार ने हिम्मत दिखाई।
- वह तुरंत छत पर चढ़ गया।
- परिवार को पीछे से नीचे उतारकर सुरक्षित जगह पहुंचाया।
- इस तरह उसने पूरे परिवार की जान बचाई।
गांव में फैली रही दहशत
जैसे ही धमाका हुआ, आसपास के गांवों में अफरा-तफरी मच गई। लोगों को लगा जैसे बम धमाका हुआ हो। गुरुद्वारे से एलान किया गया कि टैंकर में ब्लास्ट हुआ है, सब लोग बाहर निकलकर बैठ जाएं और लाइट न जलाएं। हाईवे से जुड़ी गली में भी करीब 70-80 मीटर तक की सभी दुकानें जलकर राख हो गईं।
इंद्रा और उसके भाई की उजड़ी दुकान
जली दुकानों में एक दुकान इंद्रा और उसके भाई की भी थी। उन्होंने हाल ही में 15 दिन पहले ही बुटीक खोला था। दुकान पर करीब ढाई लाख रुपये खर्च किए थे, जिसमें ज्यादातर पैसा उधार लिया था। चार बहनें और एक भाई मिलकर घर का खर्च चलाते हैं। पिता अब नहीं हैं। हादसे से कुछ मिनट पहले ही दोनों भाई-बहन दुकान बंद करके घर लौटे थे।
इंद्रा ने बताया कि जैसे ही वे घर पहुंचे, अचानक धमाके के साथ आसमान में आग का गोला उठा। वह कहती हैं – “भगवान का शुक्र है कि जान बच गई, लेकिन सब कुछ जलकर खत्म हो गया। अब आगे क्या होगा, यही चिंता है।”