
शाकाहारी लोगों के लिए प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत दालें और फलियां (Legumes) होती हैं। दालों में न केवल प्रोटीन बल्कि फाइबर और कई जरूरी पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। यही वजह है कि ज़्यादातर लोग अपने रोज़ाना खाने में दाल-चावल या दाल-रोटी शामिल करते हैं। लेकिन कुछ लोगों को दाल खाने के बाद गैस, पेट फूलना (ब्लोटिंग) और अपच की समस्या होने लगती है। खासकर राजमा, छोले और उड़द की दाल खाने से पेट में ज़्यादा गैस बनती है।
इस समस्या को कम करने का सबसे आसान उपाय है – दालों को पकाने से पहले भिगोकर रखना। भिगोने से दाल का फाइबर मुलायम हो जाता है और दालें आसानी से पच जाती हैं।
1. बिना छिलके वाली टूटी हुई दालें
जैसे – अरहर दाल, लाल मसूर दाल और पीली मूंग दाल।
- इन दालों को कम से कम 30 मिनट पानी में भिगोकर रखें।
- इससे ये जल्दी पकेंगी और पेट पर भारी भी नहीं लगेंगी।
2. छिलके वाली टूटी हुई दालें
जैसे – काली उड़द की दाल, मूंग छिलका दाल और चना दाल।
- इन्हें 2 से 4 घंटे तक पानी में भिगोकर रखना चाहिए।
- इससे इनमें मौजूद फाइबर सॉफ्ट हो जाएगा और दाल आसानी से पच जाएगी।
3. साबुत दालें
जैसे – साबुत मूंग, साबुत मसूर, साबुत उड़द और लोबिया।
- इनमें कोटिन (Coating) नाम का एक तत्व होता है, जो इन्हें पकने और पचने में भारी बनाता है।
- इसलिए इन्हें 6 से 8 घंटे यानी रातभर पानी में भिगोकर रखें।
4. हैवी फलियां (राजमा, छोले और चने)
जैसे – राजमा, छोले, काले चने।
- ये दालें पेट में गैस ज़्यादा बनाती हैं, इसलिए इन्हें पूरी रात (8-10 घंटे) भिगोकर रखना ज़रूरी है।
- भिगोते समय पानी में तेज पत्ता, बड़ी इलायची और पीपली डाल दें। इससे ये और सुपाच्य हो जाते हैं।
दाल पकाते समय ध्यान रखने वाली बातें
अगर आपको दाल या फलियां खाने से गैस की समस्या होती है, तो पकाते समय ये छोटे-छोटे उपाय ज़रूर अपनाएँ:
- दाल में हींग डालें।
- तड़का लगाने के लिए जीरा और अदरक का इस्तेमाल करें।
- दाल को हमेशा अच्छे से उबालकर पकाएँ, अधपकी दाल पचने में भारी हो जाती है।