Shardiya Navratri 2025 : नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी साधना, तपस्या और धैर्य की देवी मानी जाती हैं। उनकी पूजा करने से व्यक्ति को अपने हर कार्य में विजय प्राप्त होती है और जीवन में सफलता के मार्ग खुलते हैं।
मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र
अगर आप चाहते हैं कि आपके कार्य में सफलता निश्चित हो, तो आज इस मंत्र का जाप ज़रूर करें –
मंत्र:
‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः’
इस मंत्र का कम से कम एक माला (108 बार) जाप अवश्य करना चाहिए।
इससे आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आएगी और हर काम में सफलता मिलेगी।
मां ब्रह्मचारिणी की आरती
जय अंबे ब्रह्मचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।।
ब्रह्मचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।।
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप
मां ब्रह्मचारिणी सफेद वस्त्र धारण किए रहती हैं। उनके दाहिने हाथ में जप माला और बाएं हाथ में कमंडल रहता है। यह स्वरूप तप, साधना और त्याग का प्रतीक है।
मां ब्रह्मचारिणी की कथा
नारद जी के उपदेश पर मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की। हजारों वर्षों तक उन्होंने जमीन पर गिरे बेलपत्र खाकर तप किया। बाद में उन्होंने पत्ते खाना भी छोड़ दिया। इसी कारण उनका नाम अपर्णा पड़ा। अपनी कठिन साधना और तपस्या से उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न किया।
मां ब्रह्मचारिणी से मिलने वाली प्रेरणा
मां का संदेश है कि परिश्रम और धैर्य से ही सफलता मिलती है। भक्तों को सिखाती हैं कि जीवन की कठिनाइयों से डरना नहीं चाहिए। जो भी साधक मां की पूजा करता है, उसमें जप-तप और आत्मबल की शक्ति बढ़ती है। मां ब्रह्मचारिणी हमें यह शिक्षा देती हैं कि हर परिस्थिति में प्रयास करते रहना चाहिए और हार नहीं माननी चाहिए।