चेन्नई में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने सोमवार सुबह श्रीसन फार्मा कंपनी से जुड़े 7 ठिकानों पर छापेमारी की। यह वही कंपनी है जिसकी कोल्ड्रिफ (Coughrif) कफ सिरप पीने से कई बच्चों की मौत हो चुकी है। सूत्रों के मुताबिक, ईडी की टीमों ने चेन्नई में कंपनी के दफ्तरों और अधिकारियों के घरों पर एक साथ छापे मारे। ईडी की कार्रवाई तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल ऑफिस के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के घर और दफ्तरों तक पहुंची है।
कैसे शुरू हुआ मामला
यह केस उस वक्त शुरू हुआ जब मध्य प्रदेश में 21 बच्चों की मौत हो गई थी। बच्चों ने कोल्ड्रिफ कफ सिरप पिया था, जिसके बाद उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। जांच में सामने आया कि यह कफ सिरप चेन्नई की श्रीसन फार्मा कंपनी ने बनाया था और उसमें खतरनाक मिलावट की गई थी।
मनी लॉन्ड्रिंग की जांच में बदला मामला
पहले यह मामला सिर्फ मिलावटी सिरप का लग रहा था, लेकिन अब जांच में सामने आया है कि यह मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार का बड़ा रैकेट था। ईडी ने इस मामले में ECIR (Enforcement Case Information Report) दर्ज कर ली है और अब जांच शुरू हो गई है। ईडी को शक है कि सिरप की बिक्री से कमाया गया पैसा रिश्वत और गैरकानूनी लेनदेन में इस्तेमाल किया गया।
कंपनी मालिक की गिरफ्तारी
इस केस में श्रीसन फार्मा के मालिक जी. रंगनाथन को 9 अक्टूबर 2025 को मध्य प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार किया। कंपनी की फैक्ट्री कांचीपुरम (तमिलनाडु) में है। जांच में पता चला कि तमिलनाडु की खाद्य एवं औषधि प्रशासन (TNFDA) ने फैक्ट्री की नियमित जांच और निगरानी में लापरवाही बरती।
सरकारी लापरवाही का खुलासा
केंद्रीय दवा नियामक संस्था (CDSCO) के सूत्रों के अनुसार, TNFDA के अधिकारियों ने फैक्ट्री की समय-समय पर जांच नहीं की, न ही उन्होंने लाइसेंस और क्वालिटी कंट्रोल के नियमों का सही पालन कराया। इस लापरवाही की वजह से मिलावटी सिरप बनता रहा और किसी को भनक तक नहीं लगी।
दो अफसर सस्पेंड, एक डायरेक्टर गिरफ्तार
बच्चों की मौत के बाद तमिलनाडु सरकार ने ड्रग कंट्रोल विभाग के दो अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया। जांच में पता चला कि उन्होंने पिछले दो सालों से फैक्ट्री का कोई निरीक्षण नहीं किया। इसी बीच एक और बड़ा खुलासा हुआ — ड्रग कंट्रोल विभाग के डायरेक्टर को ACB (एंटी करप्शन ब्यूरो) ने रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा। अब उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया गया है।
ईडी की जांच का फोकस क्या है
अब ईडी यह पता लगाने में जुटी है कि कफ सिरप की बिक्री से कितना मुनाफा हुआ, किसे और कितनी रिश्वत दी गई और क्या इस पैसे का कुछ हिस्सा विदेशों में ट्रांसफर किया गया। ईडी के मुताबिक, यह मामला अब सिर्फ एक फार्मा गलती नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग का संगठित नेटवर्क बन गया है, जिसमें कंपनी मालिक, सरकारी अफसर और रिश्वतखोरी की मिलीभगत सामने आई है।