Chhath Sandhya Arghya: सनातन धर्म में छठ पूजा को बहुत ही पवित्र और महत्वपूर्ण पर्व माना गया है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है और सूर्य देव व छठी मैया को समर्पित होता है। माना जाता है कि छठी मैया अपने भक्तों के सभी दुख-दर्द दूर करती हैं और परिवार में सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
छठ पूजा के चार दिन
- पहला दिन – नहाय-खाय
इस दिन व्रती (व्रत रखने वाले) स्नान करके शुद्ध भोजन करते हैं और दिन भर सात्विकता बनाए रखते हैं। - दूसरा दिन – खरना
इस दिन पूरे दिन उपवास रखा जाता है और शाम को गुड़-चावल की खीर और रोटी का प्रसाद बनाकर पूजा की जाती है। - तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य
इस दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। यह छठ पूजा का सबसे खास अनुष्ठान होता है। - चौथा दिन – उगते सूर्य को अर्घ्य
अंतिम दिन सूर्योदय के समय सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है और इसी के साथ यह महापर्व संपन्न होता है।
आज का दिन – संध्या अर्घ्य
आज छठ पूजा का तीसरा दिन है और आज संध्या अर्घ्य दिया जाएगा। यह पूजा का अत्यंत महत्वपूर्ण समय माना जाता है क्योंकि आज के दिन सूर्य देव को डूबते हुए जल अर्पित किया जाता है।
आज सूर्यास्त और सूर्योदय का समय
- आज सूर्यास्त का समय: शाम 05 बजकर 40 मिनट
- कल सूर्योदय का समय: सुबह 06 बजकर 30 मिनट
संध्या अर्घ्य ठीक सूर्यास्त के समय दिया जाता है, इसलिए सभी व्रती और भक्त इसी समय पूजा करते हैं।
संध्या अर्घ्य की विधि (पूजा करने का तरीका)
- शुद्ध वस्त्र धारण करें:
व्रती को स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र पहनने चाहिए। सामान्यतः पीले या सफेद कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। - जलाशय के किनारे जाएं:
नदी, तालाब या किसी साफ जलाशय के किनारे पूजा की जाती है। जगह का चुनाव शांत और सुरक्षित होना चाहिए। - प्रसाद तैयार करें:
छठ के पारंपरिक प्रसाद में ठेकुआ, फल, सिंघाड़ा और गुड़ शामिल होते हैं। इन्हें पहले से तैयार रखें। - दीपक और घी तैयार रखें:
अर्घ्य से पहले घी का दीपक जलाएं। यह शुद्धता और भक्ति का प्रतीक होता है। - सूर्य देव को अर्घ्य दें:
सूर्य देव की ओर मुख करके जल में खड़े होकर दोनों हाथों से अर्घ्य दें।
अर्घ्य देते समय सूर्य देव के विशेष मंत्रों का जाप करना चाहिए और पूरे समय मन को भक्ति में लगाना चाहिए।
संध्या अर्घ्य का महत्व
- संध्या के समय दिया गया अर्घ्य बहुत आध्यात्मिक महत्व रखता है।
- डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देना जीवन के निरंतर चक्र का प्रतीक माना गया है।
- मान्यता है कि शाम के समय सूर्य देव अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं, जो उनकी एक किरण हैं।
- इसलिए इस समय अर्घ्य देने से पति-पत्नी का संबंध मजबूत होता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
- साथ ही, यह अर्घ्य संतान के कल्याण और जीवन में शांति और समृद्धि की कामना के लिए भी दिया जाता है।