18वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में नेशनल डेमोक्रेटिक एलाइंस (NDA) को स्पष्ट बहुमत मिला है. अब सरकार बनाने की कवायद शुरू हो चुकी है. नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री (PM Narendra Modi) बनने की हैट ट्रिक लगाने जा रहे हैं. पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद यह मुकाम हासिल करने वाले वे दूसरे नेता हैं ।
NDA की बैठक में उन्हें सर्वसम्मति से नेता चुन लिया गया, लेकिन इस बार स्थिति अलग है क्योंकि बीजेपी (BJP) को अपने बूते बहुमत नहीं मिला है, लिहाजा सरकार बनाने और चलाने में सहयोगी दलों की भूमिका अहम हो गई है ।
इनमें भी अहम भूमिका बीजेपी के दो पार्टनर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) की है. इस बार की एनडीए सरकार में नीतीश और नायडू वाला यह ‘नी-ना फैक्टर’ अहम हो गया है।
इतना तो तय दिखता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार देश की बागडोर संभालने जा रहे हैं , लेकिन इससे आगे लोगों की नजर इस बात पर है कि मोदी सरकार के लिए बहुमत का आंकड़ा पूरा करने की जिम्मेदारी जिन दो नेताओं पर है वे क्या करेंगे. वे दो नेता हैं बिहार के मुख्यमंत्री मंत्री नीतीश कुमार और आंध्रप्रदेश के होने वाले मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू.
अब पीएम मोदी नीतीश और नायडू के त्रिकोण में अगली सरकार का भविष्य फंसा है और इसलिए सवाल उठ रहा है कि मोदी सरकार पर नी-ना फैक्टर क्या करेगा. ‘नीना’ यानी ‘नी’ से नीतीश और ‘न’ से नायडू. हालांकि दोनों ने अब तक साफ कर दिया है कि वे मोदी सरकार का समर्थन करेंगे ।
बुधवार को दिल्ली में NDA की बैठक हुई. उसमें तमाम सहयोगी दल आए, नीतीश कुमार भी आए और चंद्रबाबू नायडू भी आए. इसके अलावा दूसरे सहयोगियों में एलजेपी रामविलास के चिराग पासवान से लेकर JDS के एचडी कुमारस्वामी और आरएलडी के जयंत चौधरी तक शामिल थे. सबको यही लगता है कि सब मिलकर मोदी सरकार को स्थिरता देंगे।
JDU के केसी त्यागी कहते हैं कि, JDU जन्मकाल से ही NDA के मंत्रिमंडल में शामिल रही है. महत्वपूर्ण पद हम लोगों ने संभाले हैं. जॉर्ज फर्नाडिस ,शरद यादव, रामविलास पासवान, नीतीश कुमार सब महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं. कोई निमंत्रण मिलेगा, हम मंत्री परिषद में शामिल होंगे ।
नायडू के 16 और नीतीश के 12 सांसद अहम
इस बार बीजेपी को 240 सीटें मिली हैं. यह सीटें बहुमत के लिए जरूरी 272 के से 32 कम हैं. इसमें नायडू के 16 और नीतीश के 12 सांसद अहम हो जाते हैं. ये दोनों मिलकर 28 होते हैं । इन दोनों के अलावा तमाम छोटे सहयोगियों की संख्या 25 है. यानी बाकी दल मिलकर भी नायडू, नीतीश के बराबर नहीं हो पाते।
इसीलिए नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है. कहा जा रहा है कि सरकार की किस्मत वे ही तय करेंगे. इसलिए NDA की तरफ से नीतीश और नायडू के लिए बहुत अच्छे-अच्छे शब्द आ रहे हैं.
खबर आ रही है कि नीतीश कुमार से लेकर नायडू तक ने अपनी मांगों की सूची BJP के सामने पेश करना शुरू कर दी है. NDTV को मिली जानकारी के मुताबिक नीतीश और नायडू दोनों ही अपने लिए स्पीकर की पोस्ट चाहते हैं. वहीं नायडू के बारे में कहा जा रहा है की वे हर तीन सांसदों पर एक मंत्री पद चाहते हैं. अगर यह फार्मूला चला तो नायडू के पांच और नीतीश के चार मंत्री बनाने पड़ जाएंगे.
JDU सूत्रों के हवाले से खबर है कि नीतीश कुमार ने तीन मंत्रालय की मांग रखी है। उन्होंने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के साथ ही चार सांसद पर एक मंत्रालय का फॉर्मूला सरकार के सामने रखा है. दरअसल 12 सांसद जेडीयू के है, इसलिए वह 3 मंत्रालय चाहती है. सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक नीतीश कुमार रेल , कृषि और वित्त मंत्रालय चाहते हैं. वहीं रेल मंत्रालय प्राथमिकता में है।
पार्टी सूत्रों ने कहा कि JDU, जिसके अब लोकसभा में 12 सांसद हैं, दो कैबिनेट बर्थ और एक एमओएस भूमिका की उम्मीद करती है। उन्होंने कहा कि रेल मंत्री का पद एक महत्वपूर्ण विकल्प होगा।
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पार्टी नई एनडीए सरकार के लिए एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम और इसके कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए एक समन्वय समिति पर भी जोर दे सकती है। न्यूनतम साझा कार्यक्रम एक संकल्प है, जो गठबंधन में पार्टियों के साझा एजेंडे को रेखांकित करता है।