इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार के साथ समर्थन को लेकर अपनी बात कही है। सरबजीत सिंह ने कहा कि फरीदकोट के लोगों ने उन्हें बड़ी जीत दिलाई है और लोगों के राय के बिना कुछ नहीं कर सकते।
वहीं कहा कि श्री अकाल तख्त साहिब पर हमले के आरोपियों के साथ कभी भी नहीं जा सकते। लोगों के राय के साथ ही केंद्र सरकार को समर्थन का फैसला लेंगे।
इस दौरान सरबजीत सिंह खालसा ने कहा पंजाब को कोई योग्य यूथ लीडर नहीं मिल रहा था। संसद में पहुंच कर वह बेअदबी पर कानून बनाने के लिए आवाज उठाएंगे।
बेअदबी करने वालों पर कानून बनना चाहिए और उन पर 302 का मामला दर्ज होना चाहिए। उनका मुख्य मुद्दा बंदी सिखों की रिहाई है। सिख कौम से अपील करते हुए सरबजीत सिंह खालसा ने कहा कि गुरु की शरण में आए और दस्तार बांध कर रखें।
पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में दो पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। फरीदकोट से जहां सरबजीत सिंह खालसा ने चुनाव जीता। वहीं दूसरी ओर खडूर साहिब सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में डिब्रूगढ़ जेल में बंद अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) ने भी चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करते हुए जीत अख्तियार की।
फरीदकोट से सरबजीत सिंह खालसा को 298062 वोट मिले हैं। वहीं दूसरे नंबर पर आम आदमी पार्टी के करमजीत सिंह अनमोल रहे। जिन्होंने 228009 वोट हासिल किए। वहीं तीसरे नंबर पर कांग्रेस प्रत्याशी अमरजीत कौर साहोके रहीं। जिन्होंने 160357 वोट हासिल किए हैं। अनमोल और सरबजीत के बीच जीत का अंतर 70053 मतों से है।
बेअंत सिंह का बेटा है सरबजीत सिंह खालसा
रबजीत सिंह खालसा (Sarabjeet Singh Khalsa) बेअंत सिंह के बेटे हैं। बेअंत सिंह और सतवंत सिंह इंदिरा गांधी की अंगरक्षक थे। सन् 1984 में इन दोनों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा की गोलियों से कई राउंड फायर कर हत्या कर दी थी।
उस दौरान बेअंत सिंह को मौके पर ही अन्य सुरक्षाकर्मियों ने मार गिराया था। जबकि सतवंत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया था। सन् 1989 में सतवंत और इस हत्या के मास्टरमाइंड केहर सिंह को दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी की सजा दी गई।