मोहाली की एक स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने 1993 में एक फल विक्रेता के अपहरण और हत्या के लिए गुरुवार को तरनतारन के तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) दिलबाग सिंह और थाना प्रभारी गुरबचन सिंह को दोषी करार दिया।
अधिकारियों ने यहां बताया कि 22 जून 1993 को गुलशन कुमार का उसके घर से अपहरण कर लिया गया था। इसके बाद उस एक महीने तक अवैध हिरासत में रखा गया और उसी साल 22 जुलाई को एक फर्जी मुठभेड़ में उसकी मौत हो गई।
शुक्रवार को सुनाई जाएगी सजा
स्पेशल कोर्ट ने डीआईजी के पद से रिटायर हुए दिलबाग सिंह और पुलिस उपाधीक्षक के पद से रिटायर हुए गुरबचन सिंह को दोषी पाया। आरोप पत्र में नामजद तीन अन्य पुलिस अधिकारियों एएसआई अर्जुन सिंह, एएसआई देविंदर सिंह और एसआई बलबीर सिंह की मुकदमे के दौरान मृत्यु हो गई। अदालत शुक्रवार को सजा सुनाएगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 1995 में यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था।
एजेंसी ने 1999 में आरोप पत्र दायर किया। 21 साल बाद 7 फरवरी 2020 को आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए। सीबीआई के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि मुकदमे के दौरान एजेंसी ने 32 गवाह पेश किए, जिनमें प्रत्यक्षदर्शी भी शामिल थे।
प्रवक्ता ने कहा कि गवाहों ने ठोस सबूत दिए कि दिलबाग सिंह और गुरबचन सिंह ने गुलशन कुमार को उसके घर से अगवा कर अवैध हिरासत में बंदी बनाकर रखा और 22 जुलाई, 1993 को उनकी हत्या कर दी।
उन्होंने कहा कि प्रस्तुत साक्ष्यों से पता चलता है कि आरोपी पुलिस अधिकारियों ने हत्या को मुठभेड़ के रूप में अंजाम दिया, तथा साक्ष्यों व दस्तावेजों से दोषी पुलिस अधिकारियों द्वारा गढ़ी गई झूठी कहानी से पर्दा हट गया। पुलिस ने परिवार को सूचना दिए बिना 22 जनवरी 1993 को तरनतारन में कुमार के शव को दफना दिया।
क्या था पूरा मामला
साल 1996 में जंडाला रोड निवासी चमन लाल की शिकायत पर केस दर्ज किया गया था। उन्होंने शिकायत में कहा था कि 22 जून 1993 को तत्कालीन DSP दिलबाग सिंह (DIG के पद से रिटायर हो चुके) के नेतृत्व में तरनतारन (शहर) पुलिस स्टेशन में SHO गुरबचन सिंह उस समय सब-इंस्पेक्टर थे तरनतारन पुलिस की एक टीम उनके बेटे गुलशन को जबरन उठा ले गई। इसके अलावा, उनके 2 बेटे प्रवीन कुमार और बॉबी कुमार को भी अपने साथ ले गए।
पुलिस ने प्रवीन और बॉबी कुमार को तो छोड़ दिया, लेकिन गुलशन को रिहा नहीं किया। एक महीने बाद 22 जुलाई 1993 को फर्जी एनकाउंटर में गुलशन की हत्या कर दी गई। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें बताए बिना उनके बेटे के शव का अंतिम संस्कार कर दिया। पिता चमन लाल के अनुसार, गुलशन कुमार फल विक्रेता थे।
परिवार पर आतंकी होने का कलंक लगा
CBI के कानूनी अधिकारी अनमोल नारंग व शिकायतकर्ता के एडवोकेट सबरजीत सिंह वेरका ने एक निर्दोष सब्जी बेचने वाले की हत्या करने वालों को उम्रकैद की सजा मांगी थी। परिवार का कहना था कि मृतक का आतंकवाद से कोई लेना देना नहीं था। बावजूद इसके, उनके परिवार पर यह कलंक लगा। परिवार ने 30 साल से अधिक तक सहन किया। इस दौरान उनका घर पूरी तरह से बर्बाद हो गया। उनके पिता मामले के शिकायतकर्ता चमन लाल की भी मौत हो चुकी है।