जालंधर के पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में शीघ्र ही उपचुनाव होने जा रहे हैं। इसी के चलते पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कैंट इलाके में मकान किराए पर लेने का फैसला किया है।
बता दें कि मुख्यमंत्री के साथ उनकी पत्नी डॉ. गुरप्रीत कौर और बहन मनप्रीत कौर भी साथ रहेंगी। मकान के सामने से गुजरने वाली सड़क की मुरम्मत का काम खत्म कर दिया गया है। मकान का फीनिशिंग टच चालू है। इसके बाद मुख्यमंत्री इस मकान में शिफ्ट हो जाएंगे।
जानकारी के अनुसार उनका पलैन यहां सिर्फ उपचुनाव तक रहने का नहीं है, बल्कि 2027 के लोकसभा चुनावों तक का है। बताया जा रहा है कि हफ्ते में तीन दिन वह इस मकान में रहेंगे, ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि इससे उन्हें दोआबा और मांझा क्षेत्र के नेताओं और लोगों से मिलने में आसानी होगी।
बता दें कि लोकसभा उप-चुनावों के लिए मुख्यमंत्री और उनका पूरी टीम होटलों में ठहरी थीं, पर इस बार उन्होंने घर किराए पर लेने का फैसला लिया है। 14 जून से 21 जून तक चुनावों के लिए नेता यहा से नामांकन भरेंगे।
लोकसभा और विधानसभा का उप चुनाव होना एक सहज प्रक्रिया है। कोई भी सरकार को उप चुनाव होते ही रहते हैं लेकिन जालंधर पश्चिमी विधान सभा सीट पर 10 जुलाई को होने वाला उप चुनाव सहज नहीं है।
यह मुख्यमंत्री भगवंत मान और पूर्व मुख्यमंत्री व जालंधर से सांसद चरणजीत सिंह चन्नी के बीच प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका है तो भारतीय जनता पार्टी के लिए दम दिखाने का अवसर।
यह चुनाव कितना महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने चुनाव के लिए जालंधर में किराए का मकान ले लिया है और अपने परिवार को वहां शिफ्ट करने का फैसला किया है।
Jalandhar से AAP को मिले गहरे जख्म
जालंधर पश्चिमी विधान सभा क्षेत्र आप के लिए प्रतिष्ठा का सवाल इसलिए भी हैं क्योंकि यहां से आप को गहरे जख्म मिले है। इस सीट से आप विधायक शीतल अंगुराल ने पार्टी छोड़ कर भाजपा की सदस्यता ले ली और लोक सभा चुनाव से पहले पार्टी ने जिस सांसद सुशील रिंकू को पुन: टिकट दी उन्होंने भी पार्टी छोड़ कर भाजपा का दामन थाम लिया।
Punjab के इतिहास में पहली बार हुआ ये
सुशील रिंकू भी जालंधर पश्चिमी (सुरक्षित सीट) से विधायक रह चुके है। पंजाब के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब एक उप चुनाव के लिए किसी मुख्यमंत्री ने उस क्षेत्र में घर किराये पर लिया हो।
जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री सप्ताह में तीन दिन जालंधर में ही रहेंगे। मुख्यमंत्री का मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से है। चन्नी भी चमकौर साहिब छोड़ कर जालंधर से लोक सभा का चुनाव लड़ने और विजयी रही। जालंधर दलितों का गढ़ माना जाता है।
जालंधर ही ऐसा लोक सभा क्षेत्र हैं जहां की 9 विधान सभा क्षेत्रों में से चार जालंधर पश्चिमी, करतारपुर, आदमपुर और फिल्लौर सीट सुरक्षित है। लोक सभा चुनाव में चन्नी ने जालंधर पश्चिमी सीट से सर्वाधिक 44, 394 वोट हासिल किए थे। जबकि भाजपा के सुशील रिंकू उनसे 1537 वोट पीछे रहे थे। रिंकू को 42,837 वोट मिले थे। जबकि आप के प्रत्याशी को मात्र 15,629 वोट मिले थे।
Congress से इतने पीछे रहे पवन टीनू
आप के पवन टीनू कांग्रेस से 28,208 वोटों से पीछे रहे थे। 2022 में सरकार बनाने के बाद आप सरकार दो लोक सभा चुनाव का सामना कर चुकी है। जिसमें से संगरूर सीट पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। जबकि जालंधर उप चुनाव में उन्हें जीत मिली थी। शीतल अंगुराल द्वारा पार्टी छोड़ने और विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद आप सरकार अपना पहला विधान सभा चुनाव लड़ेगी।
BJP के लिए दम दिखाने का चुनाव
भारतीय जनता पार्टी के लिए यह चुनाव अपना दम दिखाने का है। क्योंकि यह वह सीट है जो भाजपा हमेशा ही लड़ती रही है। इस सीट से भगत चूनी लाल भाजपा कोटे से मंत्री भी रहे हैं। पारंपरिक रूप से यह सीट कांग्रेस और भाजपा के खाते में जाती रही है।
2022 में पहली बार इस सीट पर आप की एंट्री हुई थी। भाजपा लोक सभा चुनाव में कोई भी सीट तो नहीं जीत पाई लेकिन उसने अपना वोट शेयर 18.57 फीसदी तक पहुंचा दिया। ऐसे में भाजपा के लिए भी उप चुनाव में अपना दम दिखाने का मौका है।