जालंधर पश्चिम उपचुनाव के परिणाम के बाद राज्य में जल्द बड़े स्तर पर प्रशासनिक व राजनीतिक फेरबदल हो सकता है। आम आदमी पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में बदलाव के साथ कई मंत्रियों, बोर्ड व निगमों के अध्यक्षों पर भी गाज गिर सकती है।
प्रशासनिक तौर पर भी बड़े पैमाने पर बदलाव हो सकता है। हालांकि आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व ने इसे महज अटकलें बताया है, लेकिन सत्ता और प्रशासनिक गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि मुख्यमंत्री आने वाले दिनों में अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल कर सकते हैं।
कैबिनेट की सीट को भरना तय
कैबिनेट मंत्री मीत हेयर के सांसद बनने के बाद खाली हुई कैबिनेट की सीट को भरना तय है। इसके अलावा कैबिनेट में दो सीटें पहले से ही खाली पड़ी हैं, जिन्हें इस बार के फेरबदल में भरा जा सकता है। बताया जा रहा है कि आधा दर्जन से ज्यादा मंत्रियों की छुट्टी भी हो सकती है और जिन विधायकों ने संसदीय चुनाव में पार्टी के लिए बेहतर काम किया है, उन चेहरों को कैबिनेट में जगह मिल सकती है।
मुख्यमंत्री ने मतदाताओं से की ये अपील
लोकसभा चुनाव में हार के कारणों का पता लगाने के लिए उम्मीदवारों, विधायकों, विभिन्न बोर्डों के अध्यक्षों, सदस्यों और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक के दौरान मुख्यमंत्री पहले ही संकेत दे चुके हैं कि कई नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी और कुछ को बर्खास्त भी किया जा सकता है।
इसी तरह जालंधर उपचुनाव के दौरान मुख्यमंत्री ने मतदाताओं से पार्टी के उम्मीदवार को जिताने की अपील करते हुए साफ कहा है कि वह मोहिंदर भगत को मंत्री बनाएंगे। साफ है कि अगर मोहिंदर भगत चुनाव जीतते हैं तो उन्हें वादे के मुताबिक कैबिनेट में जगह मिल सकती है। ऐसे में जालंधर जिले के पहले मंत्री बलकार सिंह की छुट्टी हो सकती है।
कुछ अध्यक्षों और सदस्यों के मिल चुके इस्तीफे
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बोर्ड, निगम और अन्य सहकारी संस्थाओं के कुछ अध्यक्षों और सदस्यों के इस्तीफे लगभग मिल चुके हैं। जिन अध्यक्षों और सदस्यों की प्रदर्शन रिपोर्ट अच्छी नहीं होगी, उनकी जगह अन्य वालंटियर्स को लाया जाएगा, क्योंकि पार्टी और सरकार के सामने पंचायती, नगर परिषद, नगर निगम और चार अन्य उप-चुनाव जीतने की चुनौती है। इन चुनावों को देखते हुए पार्टी कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है।
CM के पास मुख्यमंत्री और पार्टी प्रधान दोनों का प्रभार
पार्टी कैबिनेट और संगठनात्मक ढांचे में बदलाव कर यह संदेश देना चाहती है कि पार्टी में कुछ भी स्थायी नहीं है। पार्टी में बड़े पैमाने पर एक व्यक्ति एक पद की मांग उठने लगी है। भगवंत मान के पास मुख्यमंत्री और पार्टी प्रधान दोनों का प्रभार है। हालांकि पार्टी स्तर पर उनका यह भार हलका करने के लिए बुढलाडा के विधायक प्रिंसिपल बुधराम को कार्यकारी प्रधान की जिम्मेवारी सौंपी गई थी, लेकिन वह सफल नहीं हो रहे हैं। इसके अलावा सरकार आने वाले दिनों में बड़े पैमाने पर प्रशासनिक बदलाव भी करेगी।
वरिष्ठ अधिकारियों में भी होगा बदलाव
डीसी, एसएसपी सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों को भी बदला जाएगा। ऐसा इसलिए भी क्योंकि संसदीय चुनाव में पार्टी को वांछित सफलता न मिलने के चलते मुख्यमंत्री भगवंत मान ने जब सभी संसदीय हलकों के नेताओं से बात की तो कई वालंटियरों ने ब्यूरोक्रेसी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था।