देश ही नहीं दुनियाभर में मुहर्रम पर्व मनाया जा रहा है। आज बुधवार को एशिया रीजन में इस पर्व की 10 तारीख मनाई जा रही है। मुस्लिम इतिहास के अनुसार इस दिन इस्लाम के आखिरी पैगंबर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के वंशजों को इराक के एक शहर कर्बला में शहीद किया गया था। जिसके बाद उनकी याद में ही दुनियाभर में बसने वाले मुस्लिम समाजजन मुहर्रम पर्व को मनाते आ रहे हैं। इस दौरान मुस्लिम समाज का एक पंथ शिया समुदाय इस पर्व को 10 दिनों तक चलने वाले मातम के त्योहार के रूप में मनाता है। वहीं, दूसरा पंथ सुन्नी समुदाय इस पर्व पर अधिक से अधिक इबादत और नेक कार्य करने पर जोर देता रहा है। पर्व के दौरान कई जगहों पर ताजिए बनाकर निकाले जाने, अखाड़े और अलम निकालने की भी परंपरा है।
बता दें कि मुस्लिम इतिहास के मुताबिक करीब चौदह सौ साल पहले जब इस्लामी सल्तनत की खिलाफत खलीफा हजरत मुआविया से उनके बेटे यजीद को मिली, उस समय उसने कई ऐसी बातें आम कर दीं जो इस्लामिक शरीयत कानून के मुताबिक हराम थीं।खलीफा यजीद उन्हें हलाल बताने की कोशिश करने लगा, जिनमें शराब पीना, नशा करना और यहां तक कि जिना करना शामिल था। इससे नाराज मुल्के शाम के लोगों ने मदीना शरीफ में नवासे रसूल इमाम हुसैन को खत भेजे और उन्हें कूफ़ा आने की दवात दी गई। जिस पर उन्होंने अपने चचाजात भाई मुस्लिम बिन अकील और उनके बच्चों को कूफा के हालात का जायजा लेने भेजा।