शनिवार रात को करीब आठ बजे अचानक बिजली कट लग गया। कट क्यों लगा इस कारण को तलाशने में पीडब्ल्यूडी बीएंडआर के इलेक्ट्रिक विंग और पावरकाम के इंजीनियर/कर्मचारियों को ढ़ाई घंटे लग गए।
ऐसे में राजिंदरा अस्पताल के 25 वार्डों में अंधेरे और 36 डिग्री सेल्सियस तापमान के चलते मरीजों और उनके तीमारदारों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। हालांकि जेनरेटर की मदद से इमरजेंसी वार्ड में तो जांच के लिए बिजली की व्यवस्था रही, लेकिन अन्य वार्डों में बिजली गुल रही।
हालात इतने खराब थे कि गायनी वार्ड में डॉक्टरों ने मोबाइल टॉर्च की मदद से एक डिलीवरी करवाई। मामले की गंभीरता को देखते हुए जहां चीफ सेक्रेटरी अनुराग वर्मा ने मामले की जांच के आदेश जारी किए हैं, वहीं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने खुद अधिकारियों के साथ मीटिंग करके इस समस्या के स्थाई हल पर चर्चा की।
मरीजों के तीमारदारों ने जताया रोष
उधर, अस्पताल में दाखिल मरीजों के तीमारदारों ने भी बिजली गुल रहने से परेशान होकर इमरजेंसी के बाहर बैठकर रोष भी जताया। मरीजों के तीमारदारों ने आरोप लगाया कि रोजाना बिजली गुल हो जाती है। चार व्यक्ति मरीज को पंखी से हवा देने के लिए मजबूर हैं, ताकि मरीज को गर्मी और इन्फेक्शन से बचाया जा सके।
उमस भरी गर्मी में बिजली गुल रहने के कारण मरीजों को इन्फेक्शन का खतरा तो है ही, साथ ही सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। बता दें कि सरकारी राजिंदरा अस्पताल मालवा बेल्ट का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है और अस्पताल में पटियाला समेत आसपास के करीब पांच जिलों के मरीज इलाज के लिए आते हैं।
सिर्फ इमरजेंसी के लिए हैं जेनरेटर
गौरतलब है कि अस्पताल के 25 वार्डों में आमतौर पर 12 से 15 मरीज अलग-अलग बीमारियों के कारण दाखिल रहते हैं। हालांकि स्वास्थ्य मंत्री का दावा है कि अस्पताल के पास पावर बैकअप के लिए 20 जेनरेटर मौजूद हैं, लेकिन वह केवल इमरजेंसी और इमरजेंसी वार्ड के लिए ही हैं, जबकि अन्य वार्डों के लिए पावर बैकअप की कोई सुविधा नहीं है।
नई लाइनें डालने के बाद बढ़ी समस्या
इससे पहले भी करीब दस दिन पहले राजिंदरा अस्पताल की ओपीडी में बिजली गुल हो गई थी। जिस कारण अस्पताल के स्टाफ को इमरजेंसी में बैठकर पर्चियां काटनी पड़ी थीं।
नाम न छापने की शर्त पर अस्पताल के कर्मचारियों ने बताया कि जब से ग्रिड से नई लाइनें डाली गई हैं, तब से हाट लाइन होने के बावजूद कुछ दिनों बाद ही पावर सप्लाई बंद हो जाती है।
वहीं अस्पताल के क्वार्टर में रहने वाले एक कर्मचारी ने बताया कि हाट लाइन होने चलते पहले क्वार्टरों में भी लाइट नहीं जाती थी। अब अस्पताल में ही एक दो दिन बाद बत्ती गुल रहती है।
तीमारदार बोले- सांस लेना मुश्किल हो गया था
राजिंदरा में समाना से आए तीमारदार करमजीत सिंह, आशू और पातड़ां से आए रामपाल और अमरीक ने कहा कि गर्मी के कारण जहां सांस लेना तक मुश्किल हो गया है, ऐसे में उमस भरी गर्मी में पसीने आने से इनफेक्शन होने का भी खतरा बना हुआ है।
मजबूरन परिवार के सदस्य बारी-बारी पंखी से हवा देकर मरीजों को शांत रखने की कोशिश करते रहे। उन्होंने कहा कि पटियाला स्वास्थ्य मंत्री डा. बलबीर सिंह का अपना शहर है, अगर यहां ऐसे हालत हैं तो अन्य शहरों में क्या हाल होगा।
अंडरग्राउंड सप्लाई में फॉल्ट के कारण बिजली हुई गुल- मंत्री
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने दावा किया राजिंदरा अस्पताल की जरूरत को देखते हुए ग्रिड को 11 केवी से 66 केवी अपग्रेड किया गया है, जबकि बडूंगर से सप्लाई अंडर ग्राउंड तरीके से उपलब्ध करवाई गई है। इस सप्लाई में फॉल्ट आने के कारण दो घंटे से ज्यादा समय तक बिजली गुल रही।
हालांकि समय रहते फॉल्ट मिल गया, लेकिन इसे ठीक करके पावर रिस्टोर करने में दो घंटे से जयादा समय लग गया। हालांकि अतिरिक्त केबल भी डाली गई थी, लेकिन इसके बावजूद समस्या से जूझना पड़ा।
’11 केवी की अतिरिक्त लाइन डालकर हल की जाएगी समस्या’
मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने रविवार को पीएसपीसीएल के चेयरमैन बलदेव सिंह सरां समेत अस्पताल प्रबंधन के सीनियर अधिकारियों के साथ मीटिंग भी की। इसके बाद उन्होंने बताया कि मीटिंग में फैसला किया गया है कि ग्रिड से एक 11 केवी की अतिरिक्त लाइन अस्पताल के लिए डाली जाएगी।
अगर 66 केवी लाइन में कोई दिक्कत आती है तो अस्पताल को 11 केवी पर शिफ्ट करके काम चलाया जा सकेगा। उन्होंने कहा इसके पैसे भी विभाग की तरफ से जल्द पीएसपीसीएल के पास जमा करवा दिए जाएंगे।
माता कौशल्या अस्पताल में भी गुल रही बिजली
राजिंदरा अस्पताल के साथ माता कौशल्या अस्पताल में भी शनिवार रात को बिजली गुल हो जाने से संकट खड़ा हो गया है। माता कौशल्या अस्पताल करीब 3-4 घंटे तक 5-6 जनरेटर पर निर्भर रहा। माता कौशल्या अस्पताल में शनिवार रात करीब आठ बजे बिजली अचानक गुल हो गई।
रात करीब ग्यारह बजे बिजली रिस्टोर हो सकी। मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डा. जगपालिंदर सिंह ने इसकी पुष्टि की और कहा कि हमने तुरंत बिजली आपूर्ति तुरंत जेनरेटर पर स्थानांतरित कर दी और इस दौरान अस्पताल में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई।