पंजाब के खड़ूर साहिब से सांसद अमृतपाल सिंह के एन.एस.ए. मामले को लेकर दी चुनौती याचिका पर आज कोर्ट में सुनवाई हुई है। इस मामले में हाई कोर्ट ने पंजाब व केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। अमृतपाल की याचिका पर कोर्ट ने सरकार को जवाब दाखिल करने को कहा। वहीं बता दें कि अब उक्त मामले को लेकर अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी।
पंजाब दे वारिस व खड़ूर साहिब से सांसद अमृतपाल सिंह ने एन.एस.ए. को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी है। अमृतपाल ने कहा कि एन.एस.ए. की समयावधि बढ़ाना एक तरह से असंवैधानिक है। उसने कहा कि उस पर एन.एस.ए. लगाना सरासर गलत है। बता दें कि गत दिन अमृतपाल सिंह की चुनौती को लेकर सुनवाई हुई थी कि याचिका में कई तरह की खामियां पाई गईं।
सरकारी वकील ने बताया कि याचिका में अमृतपाल के माता-पिता की आयु व पता सही नहीं हैं जिसके चलते उधर, अमृतपाल के वकील ने कोर्ट से थोड़ा समय मांगा था। इसके बाद कोर्ट ने अमृतपाल की सुनवाई टाल दी थी और अगली सुनवाई 31 जुलाई यानी आज का तय किया था।
फिलहाल एक साल से अमृतपाल सिंह डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं और अपने परिवार से दूर है। वहीं खड़ूर साहिब से एक निर्दलीय उम्मीदवार रहे विक्रमजीत सिंह ने अमृतपाल की एम.पी. सीट को चुनौती दी है। उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि अमृतपाल सिंह ने लोकसभा चुनाव के दौरान नामांकन पत्र में दी जाने वाली जानकारियां जाहिर नहीं की गई हैं।
नामांकन पत्र में फंड, दान, खर्च, वोट मांगने के लिए धार्मिक स्थलों का प्रयोग, चुनाव कमिश्नर की मंजूरी के बिना सोशल मीडिया पर प्रचार, बिना इजाजत के चुनाव सामग्री छपवाई गई है। अमृतपाल सिंह ने चुनाव संबंधी नियमों का उल्लंघन किया है। उनका नामांकन पत्र अधूरा है जिसे लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है जिसकी सुनवाई अगस्त महीने की 5 तारीख को होगी।
परिवार और रिश्तेदारों से दूर रखना अनुचित’
अमृतपाल सिंह ने कहा कि उसे गृह राज्य और घर से दूर और उनके दोस्तों और रिश्तेदारों से दूर रखना अनुचित रूप से कठोर और प्रतिशोधात्मक है क्योंकि उसके घर और उसकी हिरासत के राज्य के बीच की दूरी लगभग 2600 किमी है।
सड़क मार्ग से ट्रेन या कार से यात्रा करने में लगभग चार दिन लगते हैं। इसमें परिवार को उनसे मिलने के लिए यात्रा करने पर भी भारी खर्च करना पड़ता है।
यह याचिकाकर्ता को राज्य सरकार और केंद्र सरकार के खिलाफ प्रमुख राजनीतिक मुद्दों पर मुखर होने के लिए दंडित करने के अलावा किसी भी उद्देश्य की पूर्ति नहीं करता है, जो इस देश के प्रत्येक नागरिक का लोकतांत्रिक अधिकार है।
‘चुनाव प्रक्रिया उम्मीदवारों के लिए संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ’
अमृतपाल के अनुसार, यह तथ्य कि वह एक राजनीतिक संदेश था जिसे वह पंजाब के लोगों को दे रहा था, पंजाब से लोकसभा के लिए उसका चुनाव से पूरी तरह से उचित है।
उसने राज्य सरकार की गलत सूचना/दुष्प्रचार को भी गलत साबित कर दिया कि याचिकाकर्ता का संविधान में कोई विश्वास नहीं है क्योंकि चुनाव की प्रक्रिया ही प्रत्येक उम्मीदवार के लिए संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेना और नामांकन पत्र दाखिल करते समय शपथ लेना अनिवार्य बनाती है।
‘खुफिया सूचनाओं पर आधारित है हिरासत अवधि बढ़ाने का आधार’
अमृतपाल ने यह भी कहा है कि उसने लोकसभा के सदस्य के रूप में चुनाव के परिणाम की घोषणा के बाद दूसरी बार भारत के संविधान के तहत शपथ ली है और अपने निर्वाचन क्षेत्र और पंजाब राज्य के सर्वोत्तम हितों का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार अर्जित किया है।
अमृतपाल ने अपनी याचिका में कहा कि एनएसए के तहत उनकी हिरासत अवधि बढ़ाने का आधार मुख्य रूप से खुफिया सूचनाओं पर आधारित है। जब याचिकाकर्ता की निवारक निरोध की तीसरी अवधि अप्रैल 2024 में समाप्त होने वाली थी, और एक आदेश के तहत निवारक निरोध की अधिकतम अवधि समाप्त हो गई थी, तो 13 मार्च को निवारक निरोध का एक नया आदेश पारित किया गया।
असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं अमृतपाल सिंह
बता दें कि अमृतपाल सिंह एक साल से ज्यादा समय से असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं. अमृतपाल सिंह के अन्य साथी भी इसी जेल में बंद हैं. अमृतपाल सिंह की एनएसए की अवधि बढ़ाए जाने के खिलाफ दायर की गई याचिका में कहा गया है कि वे एक साल से ज्यादा समय से अपने रिश्तेदारों-परिजनों से दूर हैं. उनकी आजादी को असामान्य और क्रूर तरीके से छीना गया है.
अमृतपाल सिंह के खिलाफ भी दायर की गई है याचिका
वहीं दूसरी तरफ अमृतपाल सिंह की सांसदी के खिलाफ भी याचिका दायर की गई. खडूर साहिब सीट से निर्दलीय प्रत्याशी रहे विक्रमजीत सिंह ने अमृतपाल सिंह की सांसदी को हाई कोर्ट में चुनौती दी है. उनकी याचिका में कहा गया है कि अमृतपाल सिंह ने अपने चुनावी नामांकन में कई जानकारियां छुपाई है. उनपर डोनेशन, फंड और खर्च की जानकारी छुपाने का आरोप लगाया है. इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि वोट मांगने के लिए धार्मिक स्थानों का इस्तेमाल किया गया.