बांग्लादेश में हिंसा का दौर अभी भी जारी है। शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और देश छोड़ने के बाद भी प्रदर्शनकारी सड़कों पर डटे हैं। प्रदर्शनकारी आवामी लीग के नेताओं और अधिकारियों को निशाना बना रहे हैं। इन सबके बीच, प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे ने देश के सुरक्षा बलों से आग्रह किया कि वह सत्ता पर किसी भी तरह का कब्जा नहीं होने दें। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर संकट की स्थिति पर काबू नहीं पाया गया तो बांग्लादेश पाकिस्तान बन जाएगा।
बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार का तख्तापलट हो गया है । शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने अपनी मां को सत्ता से हटाए जाने के पीछे बाहरी शक्तियों का हाथ होने की बात कही है। उन्होंने संकेत दिए हैं कि बांग्लादेश में जो स्थिति बनी है, उसके पीछे अमेरिकी गेमप्लान हो सकता है। उन्होंने इसके पीछे पाकिस्तान का हाथ होने की भी आशंका जताई है।
आजतक से बातचीत में सजीब वाजेद ने कहा, ‘मैं बता तो नहीं सकता कि ये किसने किया है लेकिन हमारा संदेह है कि इसके पीछे पाकिस्तान या अमेरिका हो सकते हैं. कौन जानें…. पाकिस्तान तो ऐसा करेगा ही क्योंकि वो नहीं चाहता कि बांग्लादेश में मजबूत सरकार बने. वो पूरब की तरफ से भारत को परेशान करना चाहता है।
अमेरिका की बात करते हुए शेख हसीना के बेटे ने आगे कहा, ‘अमेरिका मजबूत सरकार नहीं चाहता, वो बांग्लादेश में कमजोर सरकार
चाहता है. वो एक ऐसी सरकार चाहता है जिसे नियंत्रित कर सके और वो शेख हसीना को नियंत्रित नहीं कर पाए’।
क्या कह रहे विश्लेषक?
बांग्लादेश में आज जो हालात बने हैं, उसकी शुरुआत भले ही सरकारी नौकरियों में स्वतंत्रता संग्राम के परिजनों को आरक्षण दिए जाने को लेकर हुई थी लेकिन आज आंदोलन ने जो विकराल रूप लिया है, उसे देखते हुए कई जाने-माने विश्लेषक भी ऐसा मान रहे हैं कि इसके पीछे कोई बाहरी शक्ति है।
जाने-माने रणनीतिक विश्लेषक ब्रह्म चेलानी ने एक लेख लिखा है जिसमें उन्होंने कयास लगाए हैं कि बांग्लादेश की स्थिति के पीछे अमेरिका का हाथ हो सकता है। उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर अपने लेख को शेयर करते हुए कमेंट किया, ‘एक धर्मनिरपेक्ष सरकार का नेतृत्व करते हुए, जिससे
इस्लामवादी नफरत करते थे, हसीना ने बांग्लादेश को तेजी से आर्थिक विकास दिया. लेकिन शक्तिशाली बाहरी ताकतें उनके खिलाफ खड़ी थीं. तीस्ता परियोजना भारत को देने के उनके फैसले से चीन नाराज हो गया. और, दुख की बात है कि बाइडेन भी उनके पीछे पड़ गए थे।’
‘दुनिया के सातवें सबसे अधिक आबादी वाले देश को धमकाना
ब्रह्म चेलानी ने Nikkei Asia के लिए जो लेख लिखा है, उसमें वो कहते हैं, ‘बांग्लादेश ने प्रभावशाली विकास किया है जो राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक उथल-पुथल से जूझ रहे डिफॉल्ट की कगार पर खड़े पाकिस्तान की स्थिति से बिल्कुल विपरित है. फिर भी बांग्लादेश को 2021 में और इस साल की शुरुआत में बाइडेन की तरफ से आयोजित लोकतंत्र शिखर सम्मेलन से बाहर रखा गया था जबकि पाकिस्तान को दोनों बार आमंत्रित किया गया था, हालांकि वह इसमें शामिल नहीं हुआ था’।
ब्रह्म चेलानी लिखते हैं कि पिछले महीने शेख हसीना वर्ल्ड बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से बातचीत करने अमेरिका गई थीं जिस दौरान बाइडेन प्रशासन से कोई भी उनसे मिलना नहीं आया. उन्होंने लिखा कि बांग्लादेश में हुए चुनाव पर भी अमेरिका ने सवाल उठाए थे. अमेरिका ने कहा था कि बांग्लादेश के आम चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं थे।
ब्रह्म चेलाना ने लिखा, ‘स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव को बढ़ावा देने में मदद करने से दूर, दुनिया के सातवें सबसे अधिक आबादी वाले देश को धमकाना, इस बात की दर्दनाक यादों को फिर ये याद दिलाता है कि कैसे 1971 में जब पाकिस्तानी सेना ने 30 लाख लोगों का कत्लेआम किया तब अमेरिका ने उसी का साथ दिया था. अमेरिका अब क्या चाहता है।
अमेरिका ने किया अंतरिम सरकार के गठन की घोषणा का स्वागत
सोमवार को शेख हसीना के इस्तीफे के बाद बांग्लादेशी सेना के प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने घोषणा की कि बांग्लादेश में एक अंतरिम सरकार का गठन किया जाएगा। इस घोषणा का स्वागत करते हुए अमेरिका ने कहा है कि कोई भी बदलाव लोकतांत्रिक मूल्यों और कानून
के शासन पर आधारित होना चाहिए।
अमेरिका ने कहा कि वो एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया देखना चाहता है जिसमें बांग्लादेश के लोग अपनी सरकार खुद चुने. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा, ‘हम देख रहे हैं कि प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पद से इस्तीफा दे दिया है और बांग्लादेश से चली गई हैं. हम स्थिति पर सावधानी से नजर बनाए हुए हैं. अमेरिका बांग्लादेश के लोगों के साथ खड़ा है।
देश में हालात बेकाबू
भीषण आगजनी और हिंसा के बीच हालात बेहद खराब हो गए हैं। हालात बेकाबू होने के बाद पांच अगस्त को प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पद से इस्तीफा दे दिया। अब अंतरिम सरकार बांग्लादेश का कार्यभार संभालेगी। इस बीच,पूर्व पीएम हसीना के बेटे साजीब वाजेद जॉय ने पुलिस, बांग्लादेश के सीमा सुरक्षाबल (बीजीबी) और सेना से संविधान बनाए रखने का आह्वान किया।
साथ ही किसी भी अनिर्वाचित सरकार को सत्ता में नहीं आने देने का अनुरोध किया। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसा नहीं करने पर बांग्लादेश के 15 साल की प्रगति खतरे में पड़ सकती है और संभावित रूप से देश पाकिस्तान के रास्ते पर जा सकता है, जो भविष्य में खतरनाक होगा।
‘हिंसा और हत्याओं से सत्ता हासिल नहीं की जा सकती’
पूर्व पीएम के बेटे ने विरोध-प्रदर्शनों की भी निंदा की। साथ ही इस हिंसा को आतंकवाद करार दिया। उन्होंने कहा, ‘हिंसा और हत्याओं से सत्ता हासिल नहीं की जा सकती। जब पुलिस की हत्याएं होती हैं, निर्दोष लोगों को निशाना बनाया जाता है, घरों में आग लगा दी जाती है और पत्रकार मारे जाते हैं तो यह विरोध नहीं होता बल्कि आतंकवाद में बदल जाता है। आतंकवाद से केवल एक ही तरीके से लड़ा जा सकता है। मैं अनुरोध करता हूं कि हमारी कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने बहुत धैर्य दिखाया है। हालांकि, इसे अब और बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।’
संविधान की रक्षा करें: जॉय
साजीब वाजेद जॉय ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर स्थिति की गंभीरता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘पुलिस, बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) और हमारी सेना से मैं आग्रह करता हूं कि आप अपनी जिम्मेदारी को समझें। हमारे लोगों, हमारे देश और हमारे संविधान की रक्षा करें। इसका मतलब यह है कि किसी भी अनिर्वाचित सरकार को एक मिनट के लिए भी सत्ता में नहीं आने दें। यह आपका कर्तव्य है।’
जॉय ने चेतावनी देते हुए कहा, ‘अगर ऐसा हुआ तो हमारा हाल भी पाकिस्तान जैसा हो जाएगा। हमारी सभी 15 वर्षों की प्रगति को बर्बाद कर दिया जा सकता है,और बांग्लादेश कभी भी उबर नहीं सकता है। मैं भी ऐसा नहीं चाहता और न ही आप। जब तक मैं सक्षम हूं, मैं ऐसा नहीं होने दूंगा।’