
हिरासत में नहीं ले सकता संसदीय कार्यवाही में भाग
एनआईए ने यह भी कहा है कि अपीलकर्ता का मात्र सांसद होने का दर्जा उसे न्यायिक हिरासत में रहने के प्रभाव से छूट का दावा करने का अधिकार नहीं देता है। एजेंसी ने कहा कि कानून में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जब तक विधायक/सांसद कानूनी रूप से हिरासत में हैं, उन्हें सदन के सत्र में भाग लेने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है।
इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि अपीलकर्ता संसद में अपनी उपस्थिति का उपयोग कारावास की कठोरता से बचने के लिए कर रहा है क्योंकि वह जमानत प्राप्त करने में असफल रहा है। एजेंसी ने कहा है कि अपीलकर्ता बारामूला से प्रभावशाली सांसद है। यह आशंका है कि क्योंकि कई गवाह जम्मू-कश्मीर से हैं, इसलिए अपीलकर्ता उन्हें प्रभावित कर सकता है।
12 मार्च को जारी किया था नोटिस
दिल्ली हाई कोर्ट ने 12 मार्च को बारामूला के सांसद अब्दुल रशीद शेख की याचिका पर एनआईए को नोटिस जारी किया। अदालत ने एनआईए से यह भी कहा कि अगर याचिका पर कोई आपत्ति है तो वह एफिडेविट दायर करे।
विशेष एनआईए कोर्ट ने हिरासत में पैरोल के लिए उनकी पिछली याचिका को खारिज कर दिया। वह एक आतंकी मामले में आरोपी है। इंजीनियर रशीद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन पेश हुए और उन्होंने तर्क दिया कि वह संसद के चल रहे सत्र में भाग लेने की अनुमति मांग रहे हैं। वरिष्ठ वकील ने कहा कि उन्हें फरवरी 2025 में संसद में उपस्थित होने के लिए दो दिन की कस्टडी पैरोल भी दी गई थी।
कोर्ट ने पूछा कि संसद सत्र कब चल रहा है? वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि यह 4 अप्रैल तक है। एनआईए के एसपीपी अक्षय मलिक ने याचिका का विरोध किया और कहा कि पहले का आदेश उस स्थिति में पारित किया गया था जब कोई निर्दिष्ट अदालत नहीं थी। इसलिए, केवल दो दिन की कस्टडी पैरोल दी गई थी।