सार्वजनिक जीवन और निजी जीवन में संतुलन यानी वर्क-लाइफ बैलेंस कैसे रख पाती हैं? 

(हंसते हुए)…30 साल का राजनीतिक जीवन हो गया है, अब आदत पड़ गई है। हां, फिल्में नहीं देख पाने का कष्ट होता है। छावा और इमरजेंसी फिल्में देखने की इच्छा थी, लेकिन व्यस्तता में यह अब तक नहीं हो पाया है।
आप एबीवीपी से राजनीति में आईं। पीएम भी कहते हैं कि युवाओं को राजनीति से जुड़ना चाहिए, लेकिन जो युवा राजनीति में हैं, उनमें से अधिकतर राजनीतिक परिवारों से हैं। आम परिवार का युवा राजनीति में नहीं आ पाता, इस बारे में आप क्या सोचती हैं? 

एक प्रेरक व्यक्तित्व चाहिए होता है। जब केजरीवाल जैसे लोग देशभक्ति का गाना गाकर लोगों को साथ जोड़ते हैं तो लोग जुड़ते हैं, लेकिन फिर जब ऐसा व्यक्ति गलत निकलता है तो लोगों के मन टूटते हैं। मन टूटते हैं तो विश्वास खत्म होता है। विश्वास खत्म होता है तो उनसे जुड़े लोग राजनीति से हट जाते हैं। विश्वास अर्जित करने के लिए सही लोगों को आगे आना होगा। आज देश में करोड़ों लोग प्रधानमंत्री जी के साथ भावनात्मक रूप से जुड़े हैं। युवाओं को प्रेरित करने के लिए देश में सैकड़ों नरेंद्र मोदी होने की आवश्यकता है।