
हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत बड़ा महत्व है। यह पर्व माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा और उपासना का समय होता है। ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा करने से भक्तों को विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दौरान देशभर के देवी मंदिरों, शक्तिपीठों और सिद्धपीठों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। देवी दुर्गा के 51 शक्तिपीठ हैं, और इनकी यात्रा करने से भक्तों के सभी दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं।
अत्यंत शक्तिशाली और चमत्कारी शक्तिपीठ
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित कालीशिला मंदिर एक अत्यंत शक्तिशाली और चमत्कारी शक्तिपीठ है। इस स्थान की महिमा को किसी अन्य स्थान से तुलना नहीं की जा सकती। स्कंद पुराण के केदारखंड में भी इस मंदिर का वर्णन किया गया है।
कहां स्थित है कालीशिला मंदिर?
कालीशिला मंदिर, रुद्रप्रयाग जिले के उखीमठ क्षेत्र में स्थित है। यह स्थान कालीमठ मंदिर से लगभग 8 किलोमीटर की खड़ी ऊंचाई पर स्थित है। यहां एक दिव्य शिला (पत्थर) है जिसे कालीशिला कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस शिला में आज भी माता काली के पैरों के निशान मौजूद हैं।
कालीशिला से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं
- ऐसा माना जाता है कि माता दुर्गा ने असुर शुंभ-निशुंभ के वध के लिए इस स्थान पर 12 साल की बालिका का रूप धारण किया था।
- इन दोनों दैत्यों का वध करने के बाद माता काली यहीं अंतर्ध्यान हो गई थीं।
- इस पवित्र स्थान पर देवी के 64 यंत्र स्थित हैं, जिन्हें देवी दुर्गा की शक्ति का स्रोत माना जाता है।
- धार्मिक मान्यता यह भी है कि इस स्थान पर 64 योगिनियां आज भी विचरण करती हैं।
क्यों खास है कालीशिला मंदिर?
- कालीशिला मंदिर को माता दुर्गा के सबसे शक्तिशाली और सिद्ध मंदिरों में से एक माना जाता है।
- यह मंदिर भारत के प्रमुख सिद्ध और शक्तिपीठों में शामिल है।
- नवरात्रि और चारधाम यात्रा के दौरान इस मंदिर में दर्शन के लिए हजारों भक्त पहुंचते हैं।
श्रद्धालुओं पर अपार शक्ति और आशीर्वाद प्राप्त होता
जो भी भक्त नवरात्रि के दौरान इस पवित्र शक्तिपीठ में दर्शन के लिए आते हैं, उन्हें अपार शक्ति और आशीर्वाद प्राप्त होता है। अगर आप भी माता दुर्गा की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो कालीशिला मंदिर की यात्रा जरूर करें।