
बैसाखी से पहले शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) को नया प्रधान मिल जाएगा। सुखबीर बादल (Sukhbir Badal) ही दोबारा पार्टी की कमान संभालेंगे। बस इसकी औपचारिकताएं ही रह गई हैं। आज पार्टी की वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाई गई है। बैठक में चुनावी प्रक्रिया और डेलीगेट्स पर मोहर लग जाएगी।
बैसाखी कॉन्फ्रेंस पर पेश किए जा सकते हैं नए प्रधान
इसके बाद चुनाव के तारीख की घोषणा हो जाएगी। माना जा रहा है कि दस अप्रैल को जनरल हाउस की बैठक बुलाई जा सकती है और उसमें सुखबीर बादल के नाम का प्रस्ताव रखा जा सकता है। उनके सामने कोई भी संभवतः चुनौती नहीं पेश करेगा।
पार्टी 13 अप्रैल बैसाखी से पहले चुनावी प्रक्रिया को पूर्ण कर लेना चाहती है ताकि तलवंडी साबो में बैसाखी पर्व पर होने वाली कॉन्फ्रेंस में नए प्रधान को पेश किया जा सके।
बता दें कि शिअद की राजनीति में बैसाखी कॉन्फ्रेंस का हमेशा ही बड़ा महत्व रहा है, क्योंकि इसी दिन खालसा पंथ की स्थापना हुई थी और परंपरागत तरीके से इसी दिन किसान गेहूं की फसल की कटाई भी शुरू करता है। शिअद का मुख्य राजनीतिक आधार भी गांव ही है।
करनैल सिंह पीर मोहम्मद ने पार्टी से दिया इस्तीफा
पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि मंगलवार को पार्टी की वर्किंग कमेटी की बैठक में ही फैसला लिया जाएगा कि प्रधान के चुनाव की प्रक्रिया कब पूर्ण होगी। वहीं, ऑल इंडिया सिख स्टूडेंट फेडरेशन के प्रधान करनैल सिंह पीर मोहम्मद ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने जत्थेदार की नियुक्ति पर सवाल भी खड़े किए।
उन्होंने कहा कि गांधी परिवार से माफी मंगवा कर कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल का समझौता हो सकता है। हालांकि डॉ. चीमा ने कहा कि यह बात कहां से आई इसका जवाब तो पीर मोहम्मद ही दे सकते हैं। वहीं, पार्टी डेलीगेट्स को लेकर चीमा ने कहा कि चुनावी प्रक्रिया में 500 से ज्यादा डेलीगेट्स हिस्सा ले सकते हैं।
16 नवंबर 2024 को सुखबीर बादल ने दिया था इस्तीफा
बता दें कि एक विधानसभा क्षेत्र में चार डेलीगेट्स बनाए गए हैं। राज्य में 117 विधानसभा सीटें हैं, जिसके 468 डेलीगेट्स होंगे। अन्य राज्यों के भी डेलीगेट्स चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा लेंगे। माना जा रहा है कि सुखबीर बादल को प्रधान पद के चुनाव में किसी प्रकार की चुनौती नहीं मिलेगी।
उन्हें सर्वसम्मति से ही पुन: प्रधान चुना जा सकता है। बता दें कि 16 नवंबर 2024 को सुखबीर बादल ने प्रधान पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, पार्टी की वर्किंग कमेटी ने श्री अकाल तख्त साहिब के दबाव में 10 जनवरी को उनके इस्तीफे को मंजूर किया था।